उन्नाव: MLA के सामने फेल सिस्टम की कहानी

सुप्रीम कोर्ट में उन्नाव रेप पीड़िता के परिवार की ओर से लिखे उस पत्र पर सुनवाई होगी जिसमें आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर से जान के खतरे की आशंका जताई गई है। सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को कहा था कि वह 'इस विध्वंसक माहौल में कुछ रचनात्मक करने की कोशिश करेगा।' 
हादसा या साजिश? 
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी आज रेप पीड़िता और उसके परिवार के साथ रायबरेली में हुए सड़क हादसे की जांच की स्टेटस रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। इस दुर्घटना में पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गई जबकि खुद पीड़िता और उनके वकील गंभीर रूप से घायल हो गए। सीबीआई ने हादसे की इस घटना को पीड़िता की तरफ से साजिश बताने पर सेंगर समेत कुल 9 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। इनमें यूपी के कृषि मंत्री का दामाद भी शामिल है। रेप केस में सेंगर के खिलाफ चार्जशीट पहले ही पेश की जा चुकी है। 
2017 का मामला 
नाबालिग लड़की ने 2017 में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ केस दर्ज कराने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की।लड़की ने एक साल बाद अप्रैल 2018 में जब यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के आवास के बाहर आत्महत्या करने की धमकी दी तो गहमागहमी शुरू हुई। तब तक विधायक के गुंडों ने पीड़िता के पिता की बेरहमी से पिटाई कर दी और अवैध हथियार रखने के आरोप में जेल में बंद करवा दिया। सीबीआई ने मामले की जांच में पाया कि पीड़िता के पिता को फंसाने के लिए पुलिस ने ही अवैध हथियार रखने का झूठा आरोप लगाया था। बाद में उनकी मौत जेल में ही हो गई। 

35 पत्र, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं 
केस सीबीआई के हाथ में आने और फिर आरोपी विधायक के जेल जाने के बाद भी पीड़ित परिवार को गांव छोड़ने की धमकी मिलती रही। परिवार का कहना है कि उसने विभिन्न अथॉरिटीज को कुल 35 पत्र लिखे और विधायक के गुंडों से जान के खतरे की आशंका जताई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस भी मान रही है कि उसे 33 शिकायतें मिलीं। पीड़ित परिवार ने 12 जुलाई को एक चिट्ठी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी लिखी थी। हालांकि, यह पत्र सीजेआई को नहीं मिला। सीजेआई ने सोशल मीडिया से पत्र की जानकारी मिलने पर मामले का संज्ञान लिया और आज सुनवाई की तारीख तय की। अब बीजेपी ने विधयाक कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निलंबित कर दिया है। 

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