क्या भू-माफ़िया हैं आज़म?

समाजवादी पार्टी के नेता आज़म ख़ान ने लोकसभा में महिला विरोधी बयान देने के लिए भले ही माफ़ी माँग ली हो, न तो वे विवादों से बाहर निकल पाए हैं और न ही उनकी मुसीबतें कम हुई हैं। उनके लिए ताज़ा  संकट का सबब यह है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके ख़िलाफ़ 13 मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी है। उनके ख़िलाफ़ कुल 26 मामले चल रहे हैं। आज़म के ख़िलाफ़ ज़बरिया ज़मीन हथियाने, काले धन को वैध बनाने, महिलाओं के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक बातें कहने और तरह-तरह के आरोप लगे हैं। 
ताज़ा विवाद उनके मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय से जुड़ा है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने मंगलवार को इस विश्वविद्यालय परिसर स्थित मुमताज लाइब्रेरी पर छापा मारा। मदरसा आलिया की शिकायत पर यह छापा मारा गया था। साल 1774 में स्थापित इस मदरसे ने शिकायत की थी कि उसकी 9,000 किताबें और कुछ दुर्लभ पांडुलिपियाँ चोरी हो गईं हैं। पुलिस का दावा है कि उसने 2,000 किताबें और कुछ पांडुलिपियाँ बरामद की हैं। 
भू-माफ़िया?
रामपुर के 26 किसानों ने अलग अलग मामलों में ज़मीन हड़पने के आरोप आज़म पर लगाए हैं। राज्य सरकार ने 9 सदस्यों की एक विशेष टीम का गठन किया है जो आज़म ख़ान पर लगे इन आरोपों की जाँच करेगी। सब डिविज़नल मजिस्ट्रेट के आदेश पर जौहर विश्वविद्यालय के एक हिस्से को तोड़ दिया गया है, इसके साथ ही उस पर 3.27 करोड़ रुपये का ज़ुर्माना लगा दिया गया है। 
इस मामले में आज़म पर आरोप यह है कि उन्होंने एक पूरे सरकारी मकान पर कब्जा कर लिया और विश्वविद्यालय का हिस्सा बना दिया। यह मकान सरकारी ज़मीन पर बना है, सरकार का है और सरकार का एक प्रशिक्षण केंद्र यहाँ चलता था। यह अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अधीन था। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 23 हज़ार वर्गमीटर का यह मकान आज़म ख़ान के विश्वविद्यालय को बग़ैर एक पैसे लिए दे दिया, सालाना 100 रुपये भाड़ा तय किया गया। मंत्रालय के मौजूदा मंत्री मोहसिन रज़ा का कहना है कि नियम क़ानून के ख़िलाफ़ है।
आज़म के ख़िलाफ़ रामपुर में ज़मीन हड़पने का मामला तो चल ही रहा है, प्रवर्तन निदेशालय ने इसकी जाँच भी शुरू कर दी है कि क्या समाजवादी पार्टी का यह नेता ‘मनी लॉन्डरिंग’ यानी काले धन को वैध बनाने में भी लगा हुआ था। निदेशालय इस पर विचार कर रहा है कि ‘प्रीवेन्शन ऑफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट’ के तहत आज़म ख़ान पर मामला चलाया जा सकता है या नहीं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने आधिकारिक वेबसाइट पर आज़म ख़ान को भू-माफ़िया बताया है। दूसरी तरह समाजवादी पार्टी का कहना है कि उनके इस तेज़ तर्रार नेता को राजनीतिक कारणों से फँसाया गया है। पार्टी ने इन आरोपों का जवाब देने के लिए 21 सदस्यों की एक टीम तैयार की है। यह टीम बताएगी कि किस तरह ख़ान को बेवजह फँसाया गया है। 
विवाद दर विवाद
ज़मीन घोटाला मामले में विश्वविद्यालय के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू होने पर आज़म ख़ान ने कहा, ‘इस चुनाव में रामपुर से जीतने के बाद मैं इस ज़िला मजिस्ट्रेट से मायावती के जूते साफ़ करवाऊंगा।’
रामपुर के इस समाजवादी नेता पर चुनाव आयोग की भी टेढ़ी नज़र रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में अपने विरोधी उम्मीदवार जया प्रदा के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी करने की वजह से आयोग ने आज़म को चुनाव प्रचार करने पर 72 घंटे की रोक लगा दी थी। इसके पहले यानी 2014 के चुनाव में भी इन पर प्रतिबंध लगाया गया था।  
जया प्रदा
आज़म ख़ान ने जय प्रदा के बारे में कह दिया था, ‘रामपुर के लोग, उत्तर प्रदेश के लोग जया प्रदा को 17 साल में नहीं समझ पाए, पर मैं तो 17 दिनों में ही समझ गया था कि वह कपड़ों के नीच खाकी रंग का अंडरवियर पहनती हैं।’ खाकी रंग को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस से जोड़ कर देखा जाता है। 
लेकिन महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के और मामले इनके ख़िलाफ़ लगे हैं। विवादास्पद फ़िल्म ‘पद्मावत’ को लेकर जब विवाद चल रहा था, जया प्रदा ने आज़म की तुलना फ़िल्म के खलनायक अलाउद्दीन खिलज़ी से कर दी। आज़म ने जवाब में जया प्रदा को ‘नाचने वाली’ कह दिया। 
नरेंद्र मोदी
इस चुनाव प्रचार के दौरान आज़म ने नरेंद्र मोदी पर भी कुछ ऐसा कह दिया था कि खूब बवाल हुआ था। उन्होंने मोदी की आलोचना करते हुए उन्हें ख़ूनी तक कह दिया था। देश की बागडोर एक ख़ूनी के हाथ में नहीं सौंपी जानी चाहिए। एक दागदार आदमी को देश का बादशाह नहीं बनने देना चाहिए।
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राजीव, संजय गांधी
पर आज़म अपनी तीखी ज़बान से हमला करने में किसी को नहीं बख़्शते। चुनाव प्रचार के दौरान ही उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए इसके दिवंगत नेता राजीव और संजय गांधी के बारे में ऐसी बातें कह दीं, जिन्हें संवेदनहीन ही कहा जा सकता है। अल्लाह ने इमर्जेन्सी के दौरान मुसलमानों की ज़बरन नसबंदी कराने और अयोध्या की विवादित जगह पर शिलान्यास कराने के लिए संजय और राजीव गांधी को सज़ा दी। इसी तरह उन्होंने दंगों की चर्चा करते हुए कहा था कि मुज़फ़्फ़रनगर के ख़ूनियों से बदला लिया जाना चाहिए। 
आरएसएस
आज़म ख़ान ने 2015 में आरएसएस पर हमला करते हुए कहा था कि इसके कैडर समलैंगिक होते हैं, इसलिए विवाह नहीं करते। 
भारत माता
एक बार भारत माता को डायन कहने का आरोप लगा, हालाँकि उन्होंने सफ़ाई देते हुए कहा था कि कोई माँ डायन नहीं हो सकती।
ताजमहल
आज़म तब भी विवादों में आए थे जब उन्होंने कहा ताजमहल को मुसलिम वक़्फ़ बोर्ड को सौंपने की माँग की थी। पर ताज़ा मामला सिर्फ़ विवादास्पद बयान का नहीं है। विश्वविद्यालय मामले में आज़म पर ज़मीन हड़पने का आरोप है। योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश सरकार ने आधिकारिक वेबसाइट पर उन्हें ज़मीन माफ़िया बताया है। उन पर मनी लॉन्डरिंग का मामला चल रहा है। आज़म के ख़िलाफ़ कुल 26 मामले दर्ज हो चुके हैं, 13 मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। लोकसभा सदस्य रमा देवी के मामले में उन्होंने किसी तरह माफ़ी माँग कर निजात पाई, पर इन मामलों में क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा। 

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