पटना : पर्यावरण के प्रति सजग नहीं हुए तो न जल रहेगा, न जीवन : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जल, जीवन और हरियाली को लेकर मिशन मोड में काम करने की अपील की है. मुख्यमंत्री आवास स्थित संकल्प में बुधवार को हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में नीतीश कुमार ने कहा कि हमलोग पर्यावरण के प्रति  सजग नहीं होंगे, तो न जल रहेगा और न जीवन. 
जल और हरियाली  रहेगी, तभी जीवन संरक्षित रहेगा. इसके लिए हमलोगों को मिशन मोड में काम करना  होगा. इसके लिए अभियान चलाना होगा. सभी राजनीतिक दलों की  इसमें भागीदारी होगी. ऊपर के लेबल पर आॅल पार्टी बाॅडी बनेगी. अभियान के  बेहतर संचालन के लिए एक कमेटी बनाकर काम किया जायेगा. मुख्यमंत्री ने कहा  कि सौर ऊर्जा भी पर्यावरण संरक्षण का हिस्सा है, इसलिए इस दिशा में भी काम करने की जरूरत है. 
उन्होंने कहा कि तालाब के ऊपर सोलर प्लेट लगाने के लिए काम किया जा रहा है,  यानी नीचे मछली-ऊपर बिजली. उन्होंने पथ निर्माण विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग  को सड़कों के किनारे पौधे लगाने के लिए तेजी से काम करने का निर्देश दिया.  इसे अब मेंटेनेंस  पालिसी में भी शामिल करने और जल संसाधन विभाग को जल संचयन क्षेत्र वाले  तटबंधों पर पौधारोपण तेजी से करने का निर्देश दिया.  
उन्होंने कहा कि तेजी से पौधारोपण करने से हमलोग राज्य में हरित आवरण क्षेत्र बढ़ाने के लक्ष्य से  भी आगे निकल जायेंगे. जल के दुरुपयोग को रोकने के लिए काम  करने और  भू-जल स्तर को मेंटेन रखने के लिए लोगों को जागरूक करने की सलाह दी. 
बैठक के दौरान जल, जीवन व हरियाली से संबंधित एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गयी. बैठक में ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अरविंद चौधरी ने सभी तालाब, पोखर, पइन, आहर जैसी अन्य संरचनाओं की पहचान कर उनके जीर्णोद्धार से संबंधित योजना के बारे में जानकारी दी.  उन्होंने बताया कि जियो टैगिंग के माध्यम से सभी संरचनाओं को अाॅनलाइन देखा जा सकेगा. 
बैठक में  सार्वजनिक कुआं, चापाकल और नलकूपों के किनारे सोख्ता व रिचार्ज संरचना का निर्माण, निजी भूमि पर तालाब खुदाई के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने और नये जलस्रोतों के सृजन के संबंध में भी जानकारी दी गयी. प्रेजेंटेशन में सरकारी भवनों की छत पर वर्षा जल संचयन की संरचना के निर्माण के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गयी. बैठक में कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार ने सिंचाई पर कम निर्भरता वाली वैकल्पिक फसलों, ड्रिप इरिगेशन, जैविक खेती व अन्य तकनीक से कम बारिश में खेती के लिए कार्ययोजना की जानकारी दी.

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