6.83 लाख रजिस्टर्ड कंपनियां बंद, मुंबई-दिल्ली में सबसे ज्यादा ताले

कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय (MCA) में पंजीकृत लगभग 6.8 लाख कंपनियां बंद हो गई हैं. सरकार की तरफ से हाल में जारी आंकड़े के अनुसार, बंद हुईं कंपनियों की यह संख्या एमसीए के साथ पंजीकृत कुल कंपनियों का 36 प्रतिशत हैं. आंकड़े के अनुसार पंजीकृत 18,94,146 कंपनियों में से 6,83,317 कंपनियां बंद हो गई हैं.
दरअसल, सरकार ने उन कंपनियों की पहचान करने और उन्हें बंद करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया है, जिन्होंने लगातार दो वित्त वर्षों से अधिक के लिए वार्षिक रिटर्न दाखिल नहीं किए थे. यानी जिन कंपनियों की ओर से दो साल का फाइनेंशियल स्टेटमेंट और एनुअल रिटर्न नहीं दाखिल किया जाता है, उन्हें बंद कंपनी मान लिया जाता है.
सरकार ऐसी कंपनियों को चिन्हित करके उन्हें कंपनी एक्ट 2013 के सेक्शन 248 (1) के अंतर्गत आने वाले नियमों के तहत रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाता है. साल 2017-18 में इसमें 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में जानकारी देते हुए कहा कि देश में रजिस्टर्ड कंपनियों का बंद होने के मामले में दिल्ली और महाराष्ट्र सबसे आगे हैं. महाराष्ट्र में सर्वाधिक 1,42,425 कंपनियां बंद हुईं, और उसके बाद दिल्ली में 1,25,937 कंपनियां बंद हुईं.
रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ने वित्तवर्ष 2018 और वित्तवर्ष 2019 में क्रमश: 2,26,166 कंपनियों और 1,12,797 कंपनियों के नाम रद्द किए.
वहीं दूसरी ओर उपभोक्ता शिकायतों से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर के नियामक, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) का गठन करने के लिए मंगलवार को लोकसभा में एक विधेयक ध्वनिमत से पारित किया गया. इस दौरान इसके कई प्रावधानों पर विपक्ष द्वारा आपत्ति भी जताई गई.
उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019 को पारित करने के लिए सरकार की ओर से केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने उपभोक्ता अधिकारों को मजबूत करने के लिए नया कानून लाने की आवश्यकता पर जोर दिया. पासवान ने कहा कि अगर उपभोक्ता किसी चीज से संतुष्ट नहीं हैं तो यह विधेयक उनका अदालत में जाने का रास्ता साफ करेगा.

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