पंजाब और हरियाणा राजी हो गए तो चंडीगढ़ में दौड़ सकती है मेट्रो, और दूर हो जाएगी ट्रैफिक समस्या

 
ट्राईसिटी में ट्रैफिक कंजेशन चिंता का विषय है। ट्रैफिक व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अगर पंजाब और हरियाणा राजी हुए तो शहर में मेट्रो को हरी झंडी मिल सकती है। इसके लिए बुधवार को चंडीगढ़ के साथ दोनों राज्यों की एक उच्चस्तरीय मीटिंग होने वाली है। इसमें रिंग रोड में आ रही तकनीकी दिक्कतों को दूर करने पर सहमति बन सकती है।शहर से सटे आसपास के इलाकों में दिन-प्रतिदिन ट्रैफिक समस्या बढ़ती जा रही है। तमाम कोशिशों के बाद भी प्रशासन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकाल पाया है। सिटी की निरंतर बढ़ रही वाहनों की संख्या के चलते शहर के प्रमुख स्थानों व चौराहों पर जाम लगने से पब्लिक लगातार जूझ रही है। ट्रैफिक पुलिस ने इस समस्या से निपटने के लिए भी काफी प्रयास किए, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है।

मेट्रो पर बन सकती है आपसी राय
प्रशासन ने शहर के ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए मेट्रो रेल चलाने का प्लान बनाया था। ट्राईसिटी में मेट्रो चलाने का पूरा खाका तैयार कर लिया था। सिटी में मेट्रो के स्टेशन तक मार्क हो चुके थे, लेकिन बजट को लेकर पंजाब-हरियाणा में बात नहीं बन पाई, जिसके चलते पूरा प्रोजेक्ट अधर में लटक गया था। अब एक बार फिर से ट्रैफिक की समस्या से निजात दिलाने के लिए शहर में मेट्रो चलाने की कवायद शुरू हो रही है। अगर पंजाब-हरियाणा चंडीगढ़ के साथ बजट पर राजी हो गए तो जल्द ही इस प्रोजेक्ट पर मुहर लग सकती है।
मोहाली और पंचकूला के लोग मेट्रो से आ सकेंगे
ट्राईसिटी में मेट्रो चलाने के पीछे मकसद यह है कि पंचकूला, मोहाली, चंडीगढ़ या आसपास की जगहों से जो ट्रैफिक कार, मोटरसाइकिल से शहर में दाखिल होता है, वहां के लोग मेट्रो का प्रयोग कर सकें और अपने वाहनों को वहीं खड़ा कर सकें।

सांसद का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है रिंग रोड
सांसद किरण खेर ने हाल ही में संसद में रिंग रोड का मुद्दा उठाया था। इसके पीछे मंशा यह थी कि अगर चंडीगढ़ के बाहर से रिंग रोड बन जाए तो पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर या हिमाचल प्रदेश जाने वाले लोगों को शहर में आने की जरूरत ही नहीं रहेगी। वह रिंग रोड के जरिये ही चंडीगढ़ से अपने गंतव्य की ओर निकल पाएंगे।

तीनों प्रदेशों के बीच मीटिंग में रिंग रोड पर सहमति होने की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि रिंग रोड जहां से बननी है, वहां की कुछ जमीनों पर पेंच फंसा हुआ है। ऐसे तकनीकी मसलों के हल होने के बाद तीनों प्रदेशों को मंत्रालय के समक्ष इस मामले को रखना है।

बसों की संख्या बढ़ाने पर होगा जोर
मीटिंग में कार पूलिंग के विकल्प पर भी विचार किया जाएगा। सीटीयू की बसों की संख्या पंचकूला, मोहाली व शहर में बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है ताकि लोग अपना वाहन छोड़कर इन बसों का प्रयोग करें। चंडीगढ़ की तरह ही पंजाब-हरियाणा को भी अपने यहां बसों की कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

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