...क्या राज्यसभा से गैरहाज़िर रहकर विपक्षी सांसदों ने तीन तलाक बिल पास कराने में की सरकार की मदद...?

तीन तलाक बिल (Triple Talaq Bill) को राज्यसभा में पास कराने में विपक्ष की भी बड़ी भूमिका रही, अगर ऐसा कहा जाए तो इसमें कुछ भी गलत नहीं होगा. सूत्रों के अनुसार, विपक्ष के 20 सांसद वोटिंग के दौरान राज्यसभा से अनुपस्थित रहे. इस वजह से बहुमत का आंकड़ा 121 से कम हो गया. और यह बिल पास हो गया. बिल पास होने के बाद अब विपक्षी दल अपने ऐसे सांसदों से कारण बताने को कह रहे हैं. कांग्रेस ने अपने राज्यसभा सदस्यों से पूछा है कि आखिर पार्टी द्वारा व्हिप जारी करने के बाद भी सदस्य सदन में उपस्थित क्यों नहीं रहे. बता दें कि मोदी सरकार ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019' को राज्यसभा में 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित करा लिया.
सूत्रों ने बताया कि विपक्ष के सदस्य अगर सदन में मौजूद होते तो वह विधेयक को प्रवर समिति के पास भिजवा सकता था. कांग्रेस के जो पांच सदस्य गैर हाजिर रहे उनमें विवेक तनखा, प्रताप सिंह बाजवा, मुकुट मिथी और रंजीब बिस्वाल के अलावा संजय सिंह भी हैं. संजय सिंह ने इससे पहले आज ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस और सपा सदस्यों के अलावा राकांपा के वरिष्ठ नेता शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल भी सदन में अनुपस्थित रहे. इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, आईयूएमएल और केरल कांग्रेस के एक- एक सदस्य भी वोटिंग के दौरान गैर हाजिर रहे.
वोटिंग के दौरान के टी एस तुलसी भी अनुपस्थित थे जो नामित सदस्य हैं लेकिन वह विधेयक का विरोध करते रहे थे. विपक्षी दल के सदस्यों की गैर हाजिरी के अलावा अन्नाद्रमुक, बसपा और टीआरएस के सदस्य भी सदन में नहीं थे जिससे सरकार ने ऊपरी सदन में इस विधेयक को पारित करा लिया. गौरतलब है कि सत्तारूढ़ दल के पास ऊपरी सदन में बहुमत नहीं है. गौरतलब है कि तीन तलाक बिल पर पीडीपी सांसदों ने भी वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. 
दरअसल, पीडीपी के दो सांसदों ने ऊपरी सदन में बिल पेश होने के बाद वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. इस वजह से बहुमत का आंकड़ा और कम हो गया. और मोदी सरकार इस बिल को पास कराने में सफल रही. बता दें कि पीडीपी पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सदन में बिल पेश होने से पहले कहा था कि वह इस बिल को लेकर किसी भी तरह से सरकार का साथ नहीं देंगी. लेकिन उनकी पार्टी के दो सांसदों द्वारा वोटिंग में हिस्सा न लेने से अप्रत्यक्ष तौर पर फायदा मोदी सरकार को ही हुआ. 
बता दें कि तीन तलाक बिल को लेकर कुछ दिन पहले ही महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि मोदी सरकार इस बिल के सहारे हमारे (मुस्लिम) के घरों में घुसने की कोशिश कर रही है. उन्होंने तीन तलाक बिल को लेकर एक ट्वीट भी किया. उन्होंने लिखा कि मैं यह नहीं समझ पा रही हूं कि आखिर मोदी सरकार इस बिल को पास ही क्यों करवाने पर अड़ी है, खास कर तब जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे गैर-कानूनी बताया है. ऐसा करना सिर्फ मुसलमानों को दंड देने के लिए किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में जब देशकी अर्थव्यवस्था की हालत इनती खराब चल रही हो तो क्या सरकार के लिए यह इतना अहम मुद्दा होना चाहिए?
गौरतलब है कि विपक्ष के कड़े ऐतराज और बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग के बीच तीन तलाक बिल (Triple Talaq Bill) राज्यसभा से पास हो गया. इससे पहले विपक्ष की बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग भी सदन में गिर गई. वोटिंग के दौरान बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के पक्ष में 84, जबकि विरोध में 100 वोट पड़े. अब इस बिल को स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास होना मोदी सरकार की बड़ी जीत मानी जा रही है. बिल पास होने के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि आज एक ऐतिहासिक दिन है. दोनों सदनों ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिया है. यह एक उन्नतिशील भारत की शुरुआत थी.

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