हरियाणा सरकार ने किराया भत्ता बढ़ाकर तोहफा तो दिया, पर तगड़ा झटका भी लगा है, जानिए कैसे

 
हरियाणा सरकार ने कर्मचारियों को संशोधित मकान किराया भत्ता देने के साथ ही जोर का तगड़े वाला झटका भी धीरे से दिया है। सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों अनुसार भत्ते में तो बड़ी बढ़ोतरी कर दी, लेकिन स्लैब के प्रतिशत में कटौती कर दी। छठे वेतन आयोग की सिफारिशों अनुसार वर्ष 2009 में सरकार ने कर्मचारियों का एचआरए दस, बीस और तीस प्रतिशत के स्लैब में बढ़ाया गया था। लेकिन पहली अगस्त 2019 से बढ़ाए गए एचआरए का स्लैब आबादी के हिसाब से कम कर आठ, 16 और 24 प्रतिशत कर दिया है।अगर दस, बीस, तीस प्रतिशत के स्लैब में ही बढ़ोतरी होती तो तीन लाख कर्मचारियों को और अधिक एचआरए प्रतिमाह मिलता। इसके साथ ही वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद की ओर से जारी पत्र में डीए की दर 25 प्रतिशत होने पर एचआरए स्लैब 9, 18 और 27 व डीए की दर पचास प्रतिशत होने पर एचआरए स्लैब 10, 20, 30 प्रतिशत होने का भी कोई जिक्र नहीं है। एचआरए की नई दरें बेसिक पे कर्मचारियों के बेसिक पे पर लागू होंगी।

इसके साथ ही पचास लाख से अधिक आबादी के स्लैब में हरियाणा का कोई शहर आता ही नहीं। फरीदाबाद और गुरुग्राम भी पांच से पचास लाख की आबादी वाले स्लैब में आते हैं। इसलिए 24 प्रतिशत वाले नए स्लैब का लाभ हरियाणा के किसी भी कर्मचारी को नहीं मिलेगा।
इस तरह होगा कर्मचारियों को लाभ
. द्वितीय श्रेणी के किसी कर्मचारी को अब तक 1815 रुपये एचआरए प्रतिमाह मिल रहा था तो अब 8 प्रतिशत की दर से 3808 रुपये और 16 प्रतिशत की दर से 3630 की जगह 7696 रुपये मिलेंगे।
. तृतीय श्रेणी के कर्मचारी को 1065 रुपये एचआरए मिल रहा था, उसे अब 2295 रुपये 8 प्रतिशत की दर से मिलेंगे।
. चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को अभी 610 रुपये एचआरए मिल रहा था, आठ प्रतिशत की दर से उन्हें 1800 रुपये संशोधित एचआरए मिलेगा।

पुराने स्लैब के लिए हाईकोर्ट में केस विचाराधीन
27 अक्टूबर 2016 से प्रदेश में एचआरए की नई दरें लागू होनी थी, लेकिन सरकार ने पहली अगस्त 2019 से एचआरए संशोधित किया है। छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार ही दस, बीस, तीस प्रतिशत के स्लैब में एचआरए मिले, इसे लेकर हाईकोर्ट में रमेश कुमार मलिक बनाम हरियाणा सरकार केस विचाराधीन है।

इसी 26 जुलाई को हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन वकीलों की हड़ताल के चलते सुनवाई नहीं हो पाई। हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के प्रधान व याचिकाकर्ता रमेश मलिक ने बताया कि सरकार ने स्लैब में कमी कर कर्मचारियों के वित्तीय लाभ घटाए हैं। एरियर पहले ही नहीं दिया, ऊपर से स्लैब में भी कटौती कर दी।

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