ट्रिपल तलाक बिल का असली मकसद मुस्लिम परिवार को तोड़ना : गुलाम नबी आजाद

तीन तलाक बिल मंगलवार को लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी चर्चा के लिए लाया गया. इस बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी बनाते हुए 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. भाजपा और तृणमूल कांग्रेस ने बिल सदन में पेश होने से पहले राज्यसभा में अपने सांसदों को व्हिप जारी की है. वहीं बीजेडी ने राज्यसभा में तीन तलाक बिल का समर्थन किया है. जबकि टीमएसी, कांग्रेस, एआईएडीएमके, आरजेडी ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांगी की है. जेडीयू ने इसके विरोध में सदन से वॉकआउट किया. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने को कहा है.
हाल ही में 26 जुलाई को लोकसभा में कुछ बदलावों के बाद यह बिल राज्यसभा में पारित करने के लिए लाया गया है.मोदी सरकार अपने कार्यकाल के दौरान यह बिल लाई थी. लेकिन लोकसभा में बिल पारित होने के बाद यह बिल राज्यसभा में अटक गया था. इसके बाद केंद्र सरकार इसके लिए अध्यादेश लेकर आई थी.
सरकार संसदीय परंपरा का अपमान कर रही है : टीमएसी
तीन तलाक विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए टीमएसी सांसद डोला सेन ने कहा कि सरकार बिल को बगैर जांचे पास करा रही है. विधेयकों को बुलडोज किया जा रहा है. लोकसभा में सरकार के पास बहुमत है इसका मतलब यह नहीं कि वह संसदीय परंपरा और संविधान का अपमान करेंगे. सरकार तीन तलाक बिल को महिला सशक्तीकरण से जोड़ रही है. मौजूदा लोकसभा में सिर्फ 11 फीसदी महिलाएं हैं. तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए.
चर्चा में एआईएडीएमके के सांसद नवनीत कृष्णन ने बिल को अंसवैधानिक बताया है. उन्होंने कहा कि यह बिल ठीक नहीं है. इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए. इसके अलावा सीपीएम ने भी इसका विरोध किया है. बीजेडी सांसद प्रसन्न आचार्य ने कहा कि हमारी पार्टी और ओडिशा सरकार महिला सशक्तीकरण के लिए काम करती आई है. पार्टी ने महिलाओं को बराबरी का प्रतिनिधित्व दिया है. हमारी पार्टी इस बिल का समर्थन करती है.
तीन तलाक विधेयक पर चर्चा के दौरान आरजेडी नेता मनोज कुमार झा ने कहा कि कोर्ट ने जब तीन तलाक बिल को विवेकहीन करार दिया है तो हम इसमें विवेक क्यों डालने जा रहे हैं. यह नागरिक अनुबंध है और इसमें अपराध क्यों तलाश रहे हैं. सरकार को मुआवजे के प्रावधान पर फिर से विचार करना चाहिए क्योंकि जेल में रहते हुए किसी के लिए गुजारा भत्ता देना कैसे मुमकिन है. इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए.
देश आज कांग्रेस के व्यवहार को देख रहा है: नकवी
चर्चा में हिस्सा लेते हुए केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है. 33 वर्ष बाद आज सदन सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए चर्चा कर रहा है. कुरीति का इस्लाम से क्या लेना देना, इसे तो कई इस्लामिक देश गैर कानूनी और गैर इस्लामी बताकर खत्म कर चुके हैं. इसका धर्म से कोई लेना देना नहीं है. पहले भी देश ने साथ आकर कई कुरीतियों को खत्म किया है तब कोई हंगामा क्यों नहीं हुआ. देश आज कांग्रेस के व्यवहार को देख रहा है. लोकसभा से राज्यसभा में आते आते बिल पर कांग्रेस के पैर क्यों लड़खड़ा जाते हैं.
सरकार बाकि महिलाओं के बारे में क्यों नहीं सोच रही: कांग्रेस
कांग्रेस सांसद अमी याज्ञिक ने तीन तलाक बिल पर बोलते हुए कहा कि यह बिल सिर्फ एक महिला नहीं उसके पूरे परिवार से जुड़ा है. महिला सशक्तीकरण और बिल के खिलाफ हम कतई नहीं हैं, लेकिन सरकार बाकि महिलाओं के बारे में क्यों नहीं सोच रही है. हर महिला को जीवन में बहुत कुछ झेलना पड़ता है. वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने तलाक को खत्म कर दिया है. कोर्ट ने जिसे गैर कानूनी ठहरा दिया है आप उस पर कैसे एक कानून ला सकते हैं.
कांग्रेस सांसद ने कहा कि न्याय और समानता सबसे पहले गरिमा की बात करता है. कानून से पहले महिलाओं को समाज में बराबरी मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारतीय के बीच विभेद मत करिए. सभी को पति की जरूरत है और उसे बेल का पूरा हक है. राज्यसभा में तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के कई प्रस्ताव विपक्षी सांसदों की ओर से दिए गए हैं. वहीं कुछ सांसदों ने बिल पर संशोधन प्रस्ताव भी सदन में पेश किए हैं.
बिल के विरोध में जेडीयू का वॉक आउट
बिल के खिलाफ जेडीयू ने वॉक आउट किया. पार्टी नेता वशिष्ट नारायण सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी इस बिल के साथ नहीं है. हर पार्टी की एक विचारधारा है और उसके पालन के लिए वह स्वतंत्र है. उन्होंने कहा कि विधेयक पर बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाने की जरूरत है. हमारी पार्टी बिल पर वॉक आउट करती है.
इसे वोट बैंक के तराजू पर न तौला जाए- कानून मंत्री प्रसाद
उच्च सदन में तीन तलाक विधेयक पेश करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज सदन के लिए ऐतिहासिक दिन है. 20 से ज्यादा इस्लामिक देशों ने तीन तलाक को बैन कर दिया है. भारत जैसे देश में यह लागू नहीं रह सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे असंवैधानिक करार दिया है. कानून मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी इस पर कार्रवाई नहीं हो पा रही थी. लोग छोटी छोटी बातों पर तीन तलाक दे रहे थे. इसी वजह से हम यह कानून लेकर आए हैं. इस विधेयक में हमने समझौते का प्रावधान भी रखा है. इसे वोट बैंक के तराजू पर न तौला जाए. यह सवाल नारी न्याय, नारी गरिमा और नारी उत्थान का है.

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