राज्यसभा में जल्दबाजी में नहीं पास हो सकेंगे बिल, सभापति नायडू करेंगे ऐसी व्यवस्था

लोकसभा और राज्यसभा में मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल में अब तक 15 अहम बिल पास कराने में सफल रही है. राज्यसभा में बहुमत में न होने के बावजूद सरकार विरोध के बीच आरटीआई संशोधन जैसा विधेयक भी पास करा चुकी है. उधर, विपक्ष सरकार पर आरोप लगा रही है कि वह जल्दबाजी में कानून बनाने में जुटी है. राज्यसभा में भी यह मामला उठने पर सभापति वेंकैया नायडू ने आश्वासन दिया है कि वह राज्यसभा में ऐसा नहीं होने देंगे. अब तक दो साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने ऐसा होने भी नहीं दिया है.
सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन में पास होने से पहले संसदीय समितियों की ओर से विधेयकों की जांच के लिए दिशा-निर्देशों तय करने की बात कही है. उनकी ओर से यह पहल तब हुई है, जब 15 राजनीतिक दलों की ओर से यह आरोप लगाया कि इस सत्र में उनकी आवाज को दबाया जा रहा है. विधेयकों के प्रावधानों को लेकर उठाए गए सवालों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने के तुरंत बाद, नायडू ने 15 राजनीतिक दलों की ओर से लिखे गए पत्र पर एक बयान दिया. राजनीतिक दलों ने शिकायत की थी कि सदन विधेयकों पर छोटी अवधि के लिए भी चर्चा नहीं कर रहा है.  स्क्रूटनी के लिए सेलेक्ट कमेटियों को न भेजकर विधेयकों को जल्दबाजी में पास कराया जा रहा है.  
अपने बयान में सभापति ने कहा कि उन्होंने अपने दो वर्षों के कार्यकाल में ऐसा नहीं होने दिया. ख्याल रखा कि सांसदों के अधिकारों और विशेषाधिकारों का हनन न हो. नायडू ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि पिछली सरकार के आखिरी सेशन में 10 बिल उच्चसदन में पेश हुए. जिसमें से आठ को उन्होंने संबंधित स्टैंडिंग कमेटी को भेजा दिया था. यह रिकॉर्ड बताता है कि विपक्ष के आरोपों में दम नहीं है कि राज्यसभा में भी जल्दबाजी में कानून पास हो रहे हैं.

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