राज्यसभा में आज पेश होगा तीन तलाक बिल, BJP ने जारी किया व्हिप

लोकसभा से पास होने के बाद तीन तलाक विधेयक आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा. भाजपा ने इसके लिए तीन लाइन का व्हिप जारी कर अपने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने का निर्देश दिया है. यह विधेयक पिछली लोकसभा में भी पारित हुआ था लेकिन राज्यसभा ने इसे लौटा दिया था. सरकार कुछ बदलावों के साथ इसे दोबारा लाई है.
भाजपा के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है. तीन तलाक बिल को पास कराने के लिए मोदी सरकार गैर एनडीए, गैर-यूपीए पार्टियों पर निर्भर रहेगी. भाजपा को उम्मीद है कि उसे तीन तलाक विधेयक पास कराने में इन दलों का समर्थन मिलेगा.
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‘लैंगिक न्याय के लिए तीन तलाक विधेयक’
बता दें कि लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लैंगिक न्याय के लिए तीन तलाक विधेयक को जरूरी बताया था. उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के 2017 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि तीन तलाक जैसे गैरकानूनी मामलों पर रोक लगाने के लिए न्यायालय ने संसद से इस मुद्दे पर एक कानून लाने के लिए कहा था.
इसके साथ मंत्री ने विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 पेश किया. प्रसाद ने कहा कि महिलाओं को ‘तलाक-ए-बिद्दत’ (एक ही बार में तीन तलाक कहना) द्वारा तलाक दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालाय ने कहा था कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया, जॉर्डन, मिस्र और ट्यूनीशिया सहित 20 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक को गैरकानूनी करार दिया है. प्रसाद ने कहा कि अगर वे कर सकते हैं, तो भारत में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता, जो एक धर्मनिरपेक्ष देश है.
JD(U) ने लोकसभा में किया था विरोध
भाजपा की सहयोगी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के सदस्य लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए तीन तलाक विधेयक का विरोध करते हुए सदन से बाहर चले गए थे. इस दौरान पार्टी ने कहा कि इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के नेताओं की सहायता से जन जागरूकता पैदा करने की जरूरत है.
मुस्लिम महिलाओं (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 पर चर्चा के दौरान जद (यू) के सदस्य राजीव रंजन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि इस विधेयक से समाज को नुकसान होगा. उन्होंने कहा, “बिल समाज में एक अलग भावना पैदा करेगा, क्योंकि कोई भी नहीं चाहता है कि पत्नी और पति के बीच संबंधों में मतभेद हो.”
तीन साल की जेल का प्रावधान 
गौरतलब है कि विधेयक में तीन तलाक पर अंकुश लगाने के साथ पति को तीन साल की जेल का प्रावधान है. इसका उद्देश्य विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और पतियों द्वारा तीन तलाक मांगने पर रोक लगाना है.

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