'मॉब लिंचिंग और गाय के नाम पर हिन्दू धर्म को बदनाम करने की साजिश'

गौरक्षा के नाम जगह-जगह पर हो रही मॉब लिंचिंग (भीड़-हिंसा) दरअसल हिन्दू धर्म और संस्कृति को बदनाम करने की गहरी साजिश है, ये कहना है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत का. उन्होंने एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि देश में आजकल भीड़-हिंसा के नाम पर हिन्दू धर्म और संस्कृति को बदनाम करने की गहरी साजिश रची जा रही है.
भागवत वृन्दावन के वात्सल्य ग्राम में अखिल भारतीय सामाजिक सद्भाव समिति की द्विदिवसीय बैठक की शुरुआत करते हुए कहा, ‘देश भर में हिन्दू धर्म एवं संस्कृति को बदनाम करने की गहरी साजिश रची जा रही है. कहीं भीड़-हिंसा के नाम पर सियासत करके समाज में घृणा फैलाने का काम हो रहा है तो कहीं गाय के नाम पर. कुछ राज्यों में एक योजना के तहत धर्म परिवर्तन भी कराया जा रहा है. देश में आज जो हालात हैं, उन्हें देखते हुए सभी प्रचारकों को काफी सतर्क रहने की जरूरत है.’
सर संघचालक ने कहा, ‘हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए भिन्न-भिन्न मत-पंथों और उपासना पद्धतियों के लोग साथ बैठें और समाज में जाति एवं वर्गों के बीच पनप रहे भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास करें. जब ऐसा होगा तो निश्चित रूप से सामाजिक स्तर पर कई समस्याएं हल हो जाएंगी.’
इस बैठक में भारतीय सामाजिक सद्भाव समिति से जुड़े उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, केरल, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, त्रिपुरा और मेघालय समेत सभी राज्यों के प्रतिनिधि एवं संघ से जुड़े अन्य संगठनों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.
संघ के सभी प्रतिनिधियों ने अपने-अपने राज्यों की रिपोर्ट बिंदुवार रखी. संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, दतात्रेय होसबोले और भैया जी जोशी ने भी इस मौके पर अपने विचार रखे.
सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ की हिंसा पर अंकुश लगाने के लिए दिए थे निर्देश 
सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ की हिंसा और लोगों को पीट-पीट कर मारने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए दिए गए निर्देशों पर अमल नहीं करने के आरोपों पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने ‘एंटी करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट’ नाम के संगठन की याचिका पर गृह मंत्रालय और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किए.
ट्रस्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुकूल चंद्र प्रधान ने कहा कि भीड़ द्वारा लोगों को पीट-पीट कर मार डालने की घटनाओं में वृद्धि हो रही है और सरकारें इस समस्या से निपटने के लिए शीर्ष अदालत द्वारा जुलाई, 2018 में दिए गए निर्देशों पर अमल के लिए कोई कदम नहीं उठा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि भीड़ की हिंसा के अपराधों से निपटने के लिए नए दंडात्मक प्रावधानों वाला कानून बनाने और ऐसे अपराधियों के लिए इसमें कठोर सज़ा का प्रावधान करने पर विचार करना चाहिए.

More videos

See All