योगी आदित्यनाथ की सरकार ने निवेशकों के लिए बिछाया कालीन, मिलेगा फ़ायदा?

उत्तर प्रदेश में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार दूसरी बार ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी का आयोजन कर रही है. राजधानी लखनऊ में हो रहे दो दिवसीय इस आयोजन का उद्घाटन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे. इस दौरान अमित शाह 65 हज़ार करोड़ रुपये की निवेश परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे.
लखनऊ शहर को देखकर कोई भी कह सकता है कि यहां कोई बड़ा आयोजन होना वाला है. इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान यानी जहां यह कार्यक्रम हो रहा है, एयरपोर्ट से वहां तक के रास्ते को पूरी तरह सजाया गया है और दो दिन तक आम ट्रैफिक को दूसरे रास्तों से जाने की हिदायत दी गई है.
आयोजन में कौन होगा शरीक?
इस आयोजन में देश के दिग्गज उद्योगपतियों के अलावा राज्य सरकार के मंत्री और अधिकारी भी मौजूद रहेंगे. आयोजन में शामिल होने वाले प्रमुख लोगों में गौतम अडानी, टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन, एचसीएल ग्रुप के चेयरमैन शिव नाडर, पेप्सिको इंडिया होल्डिंग के सीईओ अहमद-अल-शेख, सैमसंग इंडिया के प्रेसीडेंट और सीईओ एचसी हांग, आईटीसी के सीएमडी संजीव पुरी और मेदांता के सीएमडी नरेश त्रेहन प्रमुख हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार रात तमाम उद्योगपतियों और आयोजन में पहुंच रहे अन्य महत्वपूर्ण अतिथियों को रात्रिभोज पर आमंत्रित किया. भोज में शिव नाडर, नरेश त्रेहन, प्रसून जोशी जैसे तमाम लोग मौजूद थे.
किस हाल में हैं पिछली परियोजनाएं?
उत्तर प्रदेश में पिछले साल फरवरी में हुए इन्वेस्टर्स समिट में चार लाख अट्ठाईस हज़ार करोड़ रुपये की निवेश परियोजनाओं के एमओयू पर हस्ताक्षर हुए थे. इनमें से 60 हजार करोड़ की 81 परियोजनाओं का एक साथ शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 29 जुलाई को किया था.
पिछले साल ही जुलाई में पहली बार मौजूदा राज्य सरकार ने ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी का भी आयोजन किया था. अब एक साल बाद ही दूसरी बार परियोजनाओं का शिलान्यास समारोह हो रहा है. लेकिन जानकारों का कहना है कि पिछली परियोजनाओं की स्थिति कोई बहुत उत्साहजनक नहीं है क्योंकि प्रस्तावित परियोजनाओं में से महज़ एक तिहाई ही शुरू हो पाई हैं.
लखनऊ में वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं, "इन्वेस्टर्स समिट में जो एमओयू पर हस्ताक्षर हुए थे, उनमें से ज़्यादातर तो पहले से ही चल रही थीं. एनसीआर क्षेत्र की तमाम परियोजनाओं का फिर से शिलान्यास किया गया था जबकि उन पर पहले से ही काम चल रहा था. इसके अलावा नई परियोजनाओं में बहुत कम पर ही काम चल रहा है. इस बार भी ज़्यादातर बड़ी परियोजनाएं रियल एस्टेट से संबंधित हैं और बाज़ार की स्थिति को देखते हुए, उनके समय पर शुरू होने और फिर पूरा होने में संदेह है. हां, लघु और कुटीर उद्योगों से जुड़ी तमाम परियोजनाएं ज़रूर समय से पहले पूरी हो सकती हैं."
सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि जो परियोजनाएं शुरू नहीं हो सकी हैं वो सिर्फ़ इसीलिए कि उन्हें भी उन अड़चनों और दिक़्क़तों से होकर गुज़रना पड़ा है, जिनसे पहले की परियोजनाओं को गुज़रना पड़ता था. यानी नौकरशाही का ज़रूरत से ज़्यादा प्रभाव और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी.
विपक्ष का आरोप
वहीं ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के आयोजन पर समाजवादी पार्टी ने भी तमाम सवाल उठाए हैं. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है, "उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार पर प्रदेश में विकास के नाम पर सिर्फ़ खेल-तमाशा कर रही है. राज्य सरकार नया निवेश लाने में पूरी तरह विफल रही है. एक वर्ष के भीतर निवेश प्रोत्साहन के नाम पर राज्य सरकार तीसरा सम्मेलन करने जा रही है. लेकिन वह ये अब तक नहीं बता सकी है कि पिछले दो आयोजनों के बाद प्रदेश में कितना पूंजीनिवेश हुआ है और कितने नए उद्योग लगे हैं."
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि अफ़सरशाही के चलते निवेशक निराश हैं और खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं. वहीं ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी से संबंधित लगे पोस्टरों और बैनरों से लखनऊ के सांसद और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का नाम ग़ायब होने का मामला भी चर्चाओं में है.
बहरहाल, इस बार गृहमंत्री अमित शाह राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थापित होने वाली दो सौ से ज्यादा परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे. बताया जा रहा है कि यदि ये परियोजनाएं वास्तव में ज़मीन पर उतर आईं तो इनसे दो लाख से ज्यादा लोगों को रोज़गार मिल सकता है.

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