IAS अधिकारियों के सेंट्रल डेपुटेशन को लेकर गहलोत सरकार और केंद्र के बीच बढ़ा टकराव

आईएएस अफसरों को सेंट्रल डेपुटेशन की अनुमति नहीं देने के मामले को लेकर गहलोत सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव बढ़ गया है. गहलोत सरकार ने आईएएस अफसरों को सेंट्रल डेपुटेशन पर भेजने की मांग को सिरे से ठुकरा दिया है. फिलहाल राजस्थान कैडर के 19 आईएएस अफसर सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं.

केंद्र ने मांगे थे आईएएस अधिकारी
केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अफसरों की कमी को पूरा करने के लिए राज्य सरकार से आईएएस अफसर सेंट्रल डेपुटेशन पर भेजने का अनुरोध किया था. गहलोत सरकार का कहना है कि प्रदेश में वरिष्ठ आईएएस अफसरों का टोटा है. इसलिए सरकारी दस्तावेज बने जनघोषणा पत्र के अहम बिंदुओं को जमीनी धरातल पर उतारने के लिए आईएएस अफसरों को केंद्र में जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

जानकारों का कहना है कि प्रदेश सरकार के इस कदम से सीधे तौर पर आईएएस के कैडर रिव्यू पर असर पड़ेगा. राज्य सरकार जब 2020 में आईएएस कैडर रिव्यू कराने के लिए केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय जाएगी तब समस्या आ सकती है. उस समय मंत्रालय की ओर से सवाल किया जा सकता है कि मानकों के अनुसार आईएएस अफसरों को डेपुटेशन पर क्यों नहीं भेजा जा रहा है. इसलिए प्रदेश में आईएएस अफसरों की संख्या भी क्यों बढ़ाई जाए ?

कैडर स्ट्रैंथ नहीं बढ़ने से प्रमोशन के अवसर कम हो जाएंगे
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों को सेंट्रल डेपुटेशन पर नहीं भेजने का खामियाजा राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को भुगतना पड़ सकता है. क्योंकि राज्य का कैडर स्ट्रैंथ नहीं बढ़ने से प्रमोशन के अवसर कम हो जाएंगे.

प्रत्येक पांच साल बाद आईएएस अफसरों का कैडर रिव्यू होता है
उल्लेखनीय है कि प्रत्येक पांच साल बाद राज्यों में आईएएस अफसरों का कैडर रिव्यू किया जाता है. इसका सीधा फायदा राजस्थान प्रशासनिक सेवा में प्रमोट होने वाले अफसरों को होता है. गहलोत सरकार ने पिछले दिनों सेंट्रल डेपुटेशन पर जाने के इच्छुक एक दर्जन से अधिक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों के आवेदन को हरी झंडी नहीं दी थी. कई अफसर तो डेपुटेशन पर जाने के लिए इसलिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं कि राज्य सरकार की ओर से उन्हें अनुमति नहीं मिल पाएगी.

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