मसूरी संकल्प के निष्कर्षों पर पीएमओ की रहेगी सीधी नजर

 15वां वित्त आयोग और नीति आयोग हिमालयी राज्यों को लेकर भविष्य में क्या नजरिया और नीति अपनाते हैं, मसूरी में रविवार को रहे हिमालयन कॉन्क्लेव में यह खाका तैयार होने जा रहा है। मसूरी संकल्प पत्र के निष्कर्षों और सुझावों पर उक्त आयोगों के साथ केंद्र सरकार व पीएमओ की सीधी नजर रहेगी। इसे हिमालयी राज्यों के लिए भावी नीति नियोजन और बजट प्रबंधन के लिहाज से अहम माना जा रहा है। 15वें वित्त आयोग, नीति आयोग की मौजूदगी में नौ हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साझा रुख पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी नजर होगी। पीएमओ के अपर प्रमुख सचिव डॉ पीके मिश्रा इस सम्मेलन में मौजूद रहेंगे। 
मसूरी में 28 जुलाई को हो रहे इस कॉन्क्लेव में हिमालयी राज्य अपनी दिक्कतों और चुनौती पर मंथन करेंगे। हिमालयी पर्यावरण, जैव विविधता, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण पर ये राज्य साझा तौर पर रणनीति तैयार करेंगे। कॉन्क्लेव के बिंदुओं में हिमालयी राज्यों का सतत विकास, नदियां, ग्लेशियर व जल संसाधन, आपदा प्रबंधन, इको सिस्टम सर्विसेज, पर्यटन व वेलनेस की संभावनाओं और हिमालयी राज्यों को ग्रीन बोनस के रूप में विशेष प्रोत्साहन दिए जाने पर विशेष तौर पर चर्चा होनी है। इस चर्चा के जरिये तमाम पर्वतीय राज्य हिमालय की अलहदा भौगोलिक, पर्यावरणीय, सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के लिए अलग से नीति नियोजन की पैरवी करेंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हिमालयन कॉन्क्लेव में पर्यावरण संरक्षण, आपदा प्रबंधन, वन अधिनियम व वन क्षेत्र की अधिकता जैसे ज्वलंत विषयों पर चर्चा के बाद सभी हिमालयी राज्यों के कॉमन एजेंडे को मूर्त रूप दिया जा सकेगा। हिमालयी राज्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जल संचय, जल संरक्षण की मुहिम को भी आगे बढ़ाएंगे। सम्मेलन का प्रमुख एजेंडा जल संरक्षण भी रहेगा। भारत की अधिकतर नदियों का स्रोत हिमालय है। 11 हिमालयी राज्य किसप्रकार जल संरक्षण में केंद्र का सहयोग कर सकते हैं, इस पर भी मंथन किया जाएगा।

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