‘मज़बूत’ बीजेपी के क़िले में कमलनाथ ने कैसे लगाई सेंध?

पुरानी कहावत है, ‘सौ सुनार की और एक लोहार की।’ मध्य प्रदेश के ताज़ा राजनीतिक हालातों पर इस कहावत को दोहराया जाए तो इस संदर्भ में कुछ यूँ ही कहा जायेगा, ‘सौ बीजेपी की और एक कमलनाथ की।’ यही साबित किया है कमलनाथ ने बीजेपी के दो विधायकों को तोड़ कर। बीजेपी के दो विधायकों, मैहर सीट से नारायण त्रिपाठी और ब्यौहारी से शरद कोल ने विधानसभा में एक बिल पर कांग्रेस के लिए वोट किया था। जिस तरह से बीजेपी ‘फु़लफ़ॉर्म’ में चल रही है उसमें यदि कमलनाथ ने बीजेपी के दो विधायकों को तोड़ लिया तो यह सामान्य बात नहीं है। बीजेपी के क़िले में सेंध लगाना आसान नहीं है। कमलानाथ के इस ‘मास्टर स्ट्रोक’ के पीछे क्या रही रणनीति? वह कैसे बीजेपी को मात दे पाए?
कमलनाथ ने ऐसे दी मात
मुख्यमंत्री कमलनाथ बेहद संजीदगी से अपने कार्ड खेलते रहे। भोपाल से लेकर दिल्ली तक बीजेपी के दोनों विधायकों से कई बार कमलनाथ ने मेल-मुलाक़ात की। बीजेपी को झटका देने के लिए लगातार कोशिश में जुटे रहे। 
उधर बीजेपी के रणनीतिकार उनके विधायकों और कमलनाथ के बीच हुई मेल-मुलाक़ातों की ख़बरों को हलके में लेते रहे। बीजेपी नेताओं का पूरा ज़ोर नाथ सरकार को गिराने संबंधी गीदड़ भभकियाँ देने तक ही सीमित रहा। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कमलनाथ ने अपने हरेक मंत्री को पार्टी विधायकों पर ‘पैनी नज़र’ बनाये रखने की ज़िम्मेदारी दी। ऊपर से भी मॉनिटरिंग होती रही। 
बीजेपी ने सदन में कांग्रेस को वोट के ज़रिये परेशान करने की फ़ुलप्रूफ़ रणनीति तक नहीं बना पाई। बीजेपी के पास 108 का नंबर था। बीजेपी प्रयास करती तो कांग्रेस की साँसें कई बार सदन में फूल जाने की स्थिति बन जाती।
बेहद नाज़ुक हालातों की संभावनाएँ बनना तय होने और अपने दल के सदस्यों पर अंकुश के लिए बेहद आवश्यक ‘व्हिप’ तक बीजेपी विधायक दल की ओर से जारी नहीं की गई। व्हिप जारी की गई होती तो बीजेपी के विधायक क्रॉस वोटिंग नहीं कर पाते।
अब बीजेपी के सामने क्या हैं विकल्प?
दो विधायकों की ‘खुली बग़ावत’ के बाद बीजेपी के पास न निगल पाने और न ही उगल पाने वाले हालात बन गये हैं। पार्टी दोनों विधायकों पर एक्शन लेती है और उन्हें पार्टी से निकालती हैं तो विधायक स्वछंद हो जायेंगे। उनकी विधानसभा की सदस्यता नहीं जायेगी। शिकायत की जाती है और कांग्रेस में शामिल होने के सबूत बीजेपी देते हुए कार्रवाई की माँग करती है तो पूरा मामला लटका कर रखने का अवसर विधानसभा स्पीकर को मिल जायेगा।
दो विधायकों के टूटने से तिलमिलाई बीजेपी के लिए अभी परेशानी और बढ़ सकती है। कमलनाथ सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त महामंडलेश्वर नामदेव त्यागी उर्फ कम्प्यूटर बाबा ने गुरुवार को कहा, ‘बहुत जल्दी कांग्रेस एक और बड़ा झटका मध्य प्रदेश बीजेपी को देगी। चार और विधायक पार्टी के संपर्क में हैं।’ हालाँकि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा, ‘अब कोई टूटने वाला नहीं है। सब एक हैं। जो गए हैं, उनका भी कोई ठिकाना नहीं है कब तक वे कांग्रेस के साथ रहेंगे।’
अब इन विधायकों पर नज़र
मध्य प्रदेश बीजेपी के चार विधायक दिनेश राय मुनमुन, सुदेश राय, संजय पाठक और राजेश प्रजापति पार्टी के लिए ‘दूसरा सिरदर्द’ बन सकते हैं। सुदेश राय और संजय पाठक पुराने कांग्रेसी हैं। पाला बदलकर ये बीजेपी में आये हैं। दिनेश राय मुनमुन बीजेपी में आने के पहले निर्दलीय विधायक रहे हैं। वह काफ़ी समय तक कमलनाथ के निकटस्थों में शुमार रहे। शिवराज सरकार के वक़्त राज्यसभा चुनावों के लिए मुनमुन ने कांग्रेस प्रत्याशी विवेक तन्खा के लिए वोट किया था। वह निर्दलीय थे, उनकी नजदीकियाँ तब बीजेपी के साथ थीं। लेकिन वोट उन्होंने तन्खा को दिया था। राजेश प्रजापति काफ़ी वक़्त से कमलनाथ से लगातार ‘मेल-मुलाक़ात’ करते रहे हैं।
बीजेपी नेता ने साधा शिवराज पर निशाना
मध्य प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के पूर्व सदस्य रघुनंदन शर्मा ने संकेतों में शिवराज सिंह को निशाने पर लिया। शिवराज का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, ‘कुछ नेताओं ने पावर में रहते हुए अपने अहम और पार्टी में प्रभुत्व जमाने के लिए बीजेपी के पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की ख़ूब उपेक्षा की। कल का घटनाक्रम उसी का परिणाम है। इस घटना से बीजेपी को कितनी गहरी क्षति हुई है, उसकी कल्पना नहीं की जा सकती।’ यहाँ बता दें कि अटल और आडवाणी के साथ काम करने वाले शर्मा शिवराज सरकार में हाशिये पर डाल दिये गये थे।

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