विदेशी कर्ज पर स्वदेशी दबाव! PMO ने सॉवरेन बॉन्ड पर पुनर्विचार करने को कहा
देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने के लिए सॉवरेन बॉन्ड के द्वारा विदेशी कर्ज जुटाने की सरकार की कोशिश के रास्ते में स्वदेशी जागरण मंच का दबाव लगता है कि हावी हो गया है. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि वित्तीय मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग के ऊर्जा मंत्रालय में तबादले के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की भूमिका है. अब प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से वित्तमंत्री को विदेशी सॉवरेन बॉन्ड पर दोबारा विचार करते हुए पूर्व बैंकरों और अर्थशास्त्रियों द्वारा इस संबंध में उठाए गए मसलों की जांच करने को कहा गया है.
पीएमओ ने कहा है कि पूर्व बैंकरों और अर्थशास्त्रियों द्वारा इस संबंध में उठाए गए मसलों की जांच करने के बाद ही बजट के प्रस्ताव को लागू करने पर अंतिम फैसला किया जाना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक, पीएमओ ने कहा कि वित्त मंत्री को किसी योजना पर आगे बढ़ने से पहले हितधारकों से परामर्श करना चाहिए.
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 जुलाई के अपने बजट में यह ऐलान किया था कि बुनियादी ढांचा विकास योजनाओं के लिए जरूरी लाखों करोड़ रुपये की रकम जुटाने के लिए सॉवरेन बॉन्ड के द्वारा विदेश से कर्ज लिया जाएगा. लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ी संस्था स्वदेशी जागरण मंच ने विदेशी कर्ज लेने के मोदी सरकार के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे राष्ट्र हित के खिलाफ बताया.
अब क्या होगा सॉवरेन बॉन्ड के लक्ष्य का?
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया था कि सरकार सॉवरेन बॉन्ड के जरिए प्रस्तावित 7.1 लाख करोड़ रुपये उधारी का करीब 10-15 फीसदी इस वित्त वर्ष में जुटा सकती है. लेकिन पीएमओ के आदेश के बाद अब इस लक्ष्य का क्या होगा इस पर अभी कुछ स्पष्ट नहीं है. कहा जा रहा है कि इस प्रस्तावित बॉन्ड के पीछे दिमाग पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का ही है. हालांकि, मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने भी कहा था कि यह अच्छा मौका है कि भारत को विदेशी सॉवरेन बॉन्ड से काफी सस्ती दर पर कर्ज जुटाना चाहिए. गर्ग का तबादला ऊर्जा मंत्रालय में हो गया है.
देश को 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने के लिए अगले पांच साल में बुनियादी ढांचे में 100 लाख करोड़ रुपये के निवेश का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है. बजट में वित्त मंत्री ने विदेश से कर्ज और अन्य तरीके से धन जुटाने की बात कही है. सरकार ने संकेत दिया था कि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इसके लिए पहला सॉवरेन बॉन्ड जारी किया जाएगा.
स्वदेशी जागरण मंच क्यों कर रहा विरोध
स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने बजट के दो दिन बाद कहा था, 'विदेशी मुद्रा में सरकारी कर्ज लेना गलत विचार है और इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय अनुभव काफी भयंकर रहे हैं. विदेशी कर्ज के जाल में वे इतना फंस गए हैं कि सॉवरेन डिफॉल्ट से बचने के लिए अब और ज्यादा कर्ज ले रहे हैं.' महाजन ने इंडोनेशिया, ब्राजील, अर्जेंटीना, तुर्की और मेक्सिको का उदाहरण दिया है. इन देशों का विदेशी कर्ज जीडीपी का 53.8 फीसदी तक पहुंच गया है.
क्या होता है सॉवरेन बॉन्ड
बॉन्ड निश्चित रिटर्न देने वाला एक ऐसा साधन होता है जिसके द्वारा कंपनियां या सरकार कर्ज जुटाती हैं. जो बॉन्ड खरीदता है वह एक तरह से सरकार या कंपनी को कर्ज दे रहा होता है और उसे इसके बदले एक निश्चित समय में मूलधन के साथ एक निश्चित रिटर्न देने का वायदा किया जाता है. इस तरह विदेश में सॉवरेन बॉन्ड जारी कर सरकार का धन जुटाने और उस पैसे को विकास में लगाने का प्लान है. बाद में मैच्योरिटी पर यह पैसा सूद के साथ वापस किया जाएगा.