साध्वी प्रज्ञा और आकाश विजयवर्गीय भेज चुके हैं जवाब, अब बैठक का इंतजार

भारतीय जनता पार्टी में कोई नेता अनुशासन की लक्ष्मण रेखा पार करने के घेरे में आता है तो उसे पार्टी की ओर से 'कारण बताओ' नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाता है. अगर जवाब संतोषजनक नहीं होता तो संबंधित व्यक्ति को अनुशासनात्मक कार्रवाई भुगतनी पड़ती है.
हाल ही में ऐसा भोपाल से लोकसभा की सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और इंदौर से विधायक आकाश विजयवर्गीय के साथ हुआ. हालांकि, दोनों का जवाब आ गया है, लेकिन पार्टी की अनुशासनात्मक समिति की बैठक होना ही संभव नहीं हो पा रहा है. 
दरअसल, साध्वी प्रज्ञा को 'कारण बताओ' नोटिस का जवाब दिए हुए डेढ़ महीने से ऊपर हो चुके हैं. वहीं, आकाश विजयवर्गीय को भी नोटिस का जवाब दिए पांच दिन बीत चुके हैं. दिलचस्प ये है कि अभी तक बीजेपी की अनुशासन समिति की कोई बैठक नहीं हुई है.
बैठक नहीं होने की वजह से जाहिर है कि यह तय नहीं हो पा रहा साध्वी प्रज्ञा और आकाश विजयवर्गीय के जवाब से समिति संतुष्ट हैं या नहीं. या फिर दोनों नेताओं के खिलाफ आगे की कार्रवाई के लिए समिति अपनी संस्तुति केंद्रीय नेतृत्व को भेजेगी या नहीं.  
बता दें कि बीजेपी की अनुशासन समिति में तीन सदस्य हैं- अविनाश राय खन्ना, बिजोय चक्रवर्ती और सत्यदेव सिंह. बीते कुछ महीनों से इस अनुशासन समिति की कोई बैठक नहीं हो पाई है.
क्या है साध्वी प्रज्ञा से जुड़ा विवाद
साध्वी प्रज्ञा ने इस साल लोकसभा चुनाव  प्रचार के दौरान नाथूराम गोडसे को देश भक्त बताने वाला बयान जारी किया तो बीजेपी ने उन्हें 'कारण बताओ' नोटिस जारी करने में देर नहीं लगाई थी. साध्वी प्रज्ञा ने 5 जून 2019 को पार्टी के नोटिस का जवाब भेजा. इसमें उन्होंने कहा कि आगे से वो अनुशासन में रहेंगी और प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर अपनी बात को साफ भी करेंगी.
आकाश विजयवर्गीय को क्यों मिला था नोटिस
पिछले महीने बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय ने इंदौर में एक जर्जर इमारत को ध्वस्त करने पहुंचे नगर निगम के एक अधिकारी की क्रिकेट बैट से पिटाई कर दी थी. इस घटना के तूल पकड़ने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सख्त रुख दिखाया.
मोदी ने बीजेपी संसदीय दल की बैठक में आकाश विजयवर्गीय का नाम लिए बिना कहा था कि हमारी पार्टी में आवेदन, निवेदन फिर दे दनादन की परंपरा नहीं है. पीएम ने ये भी कहा था, 'चाहे किसी का भी बेटा हों हमें ऐसे विधायक की जरूरत नहीं है, अगर एक विधायक कम भी हो जाए तो पार्टी कोई फर्क नहीं पड़ता है, जो स्थानीय नेता उस विधायक के जेल से बाहर आने पर स्वागत करने गए उन्हें भी पार्टी से निकाल देना चाहिए.'
इस प्रकरण पर बीजेपी ने 4 जुलाई को आकाश विजयवर्गीय को 'कारण बताओ' नोटिस दिया. उन्हें इस नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का वक्त दिया गया. पिछले हफ्ते ही आकाश विजयवर्गीय ने नोटिस का जवाब देते हुए माफी मांग ली थी.
 इस बीच, सोमवार को भी साध्वी प्रज्ञा को बीजेपी के महासचिव (संगठन) बीएल संतोष ने तलब किया. साध्वी प्रज्ञा इसके लिए बीजेपी दफ्तर पहुंची.  
एक और बयान से साध्वी प्रज्ञा मुश्किल में
हाल ही में साध्वी प्रज्ञा का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमें वो कहती दिख रही हैं कि शौचालय या नालियों की सफाई करना उनका काम नहीं हैं और वो इसके लिए नहीं चुनी गई हैं. नालियों की सफाई वाले बयान पर भी पार्टी की ओर से साध्वी प्रज्ञा से नाराजगी जताई गई और भविष्य में इस तरह के बयान नहीं देने की हिदायत दी गई.  
फिलहाल तो नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने वाले बयान पर साध्वी प्रज्ञा पार्टी की ओर से जारी नोटिस का जवाब दे चुकी हैं, लेकिन पार्टी की अनुशासन समिति की बैठक नहीं हो पाने की वजह से उन पर फैसला अधर में लटका हुआ है.  
बीजेपी के संविधान के अनुसार, किसी भी सांसद और विधायक पर कोई भी कार्रवाई करने का फैसला लेने का अधिकार सिर्फ बीजेपी संसदीय बोर्ड के पास है. सूत्रों के मुताबिक अभी तक अनुशासन समिति ने साध्वी प्रज्ञा और आकाश विजयवर्गीय के मामलों में कोई संस्तुति नहीं भेजी है.
साध्वी प्रज्ञा और आकाश विजयवर्गीय ने बेशक नोटिसों का अपने हिसाब से जवाब दे दिया है. अब बड़ा सवाल ये है कि अनुशासन समिति उनके जवाबों से संतुष्ट होगी या फिर कोई कार्रवाई की सिफारिश करेगी. साध्वी प्रज्ञा और आकाश विजयवर्गीय पर अनुशासन समिति क्या रुख अपनाती है, इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि पीएम मोदी यूं ही किसी पर टिप्पणी नहीं करते हैं.

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