क्या भूपेश सरकार के लिए परेशानी का सबब बन सकती है आदिवासी गवर्नर की नियुक्ति?

आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ के गठन के बाद ये पहला मौका होगा जब किसी आदिवासी नेत्री को राज्यपाल बनाया गया है. पूर्व प्रोफेसर, बीजेपी सरकार में मंत्री, राज्यसभा सदस्य और अनुसूचित जनजाति आयोग की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रही अनुसूइया उइके छत्तीसगढ़ में कार्यवाहक और प्रभारी मिलाकर नौंवी राज्यपाल बनाई गई हैं. राज्यपाल की नियुक्त के बाद एक ओर आदिवासी समाज ने खुशी जताते हुए अधिकारों की रक्षा होने की बात कही है तो वहीं राजनीति के जानकार इसे राज्य सरकार के लिए बेहतर निर्णय नहीं मान रहे है.

अनुसूइया उइके के राज्यपाल बनने पर सर्व आदिवासी समाज के प्रभारी अध्यक्ष बीएस रावटे का कहना है कि अनुसूइया उइके के राज्यपाल नियुक्त होने पर पूरे समाज में खुशी की लहर है. खासकर महिलाओं में उनकी नियुक्त को लेकर अच्छा उत्साह है. क्योकि पहली बार हमरे मर्ग की महिला को राज्यपाल बनाया गया है.पहले हमे अपनी बात रखने का मौका तक नहीं दिया जाता है, लेकिन अब लगता है हमारी बातें भी सुनी जाएगी. तो वहीं जनीतिक विश्लेषक बाबूलाल शर्मा की मानें तो इस फैसले से राज्य सरकार के कार्यों पर असर पड़ सकता है.

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