लोकल थाने को पहले से थी वारदात की जानकारी, कांस्टेबिल ने घटना वाले दिन बनाया था समझौते का दबाव
सोनभद्र नरसंहार के एक गवाह ने बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है। इस कांड के गवाह राम राज्य का कहना है कि घटना वाले दिन नरसंहार से ठीक पहले स्थानीय पुलिस थाने के एक कॉन्सटेबल ने जमीन विवाद पर समझौते के लिए फोन किया था। रामराज्य का कहना है कि थाने के कॉन्सटेबल सत्यजीत ने कहा था कि अगर समझौता नहीं होता तो 'कुछ बड़ा' हो सकता है। फिलहाल इस कॉन्सटेबल को सस्पेंड कर दिया गया है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक गवाह राम राज्य को जैसे ही हमला होने का शक हुआ, उसने सोनभद्र के एसपी सलमानताज जफरताज पाटिल को मदद के लिए फोन पर सूचित किया। लेकिन उसे स्थानीय थाने से ही संपर्क करने के लिए कहा गया। राम राज्य के मुताबिक उसने एसपी को बताया कि प्रधान यज्ञदत्त कुछ साजिश रच रहा है। एस पी ने कहा कि थाने का इंस्पेक्टर ही इस मामले को देखेगा।
अखबार के मुताबिक राम राज्य ने आगे बताया, “हमला शुरू होने के बाद मैंने सुबह 11 से साढ़े ग्यारह के बीच 100 नंबर और 1076 पर लगातार फोन किया। लेकिन 30 किलोमीटर दूर स्थित घोरावल पुलिस थाने से पुलिस को आने एक घंटा लग गया। तब तक हमलावर हत्याएं तब तक दत्त और उसके आदमी भाग चुके थे।“
अखबार ने इस बारे में एसपी पाटिल से भी बात की। उन्होंने इन आरोपों को नकारते हुए रामराज्य का फोन आने तक से इनकार किया है। एसपी पाटिल ने अखबार को बताया कि फोन करने वाले कॉन्सटेबल सत्यजीत को सस्पेंड कर दिया गया है और उसके खिलाफ जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर उसके खिलाफ पक्षपात का आरोप सही पाया जाता है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि 17 जुलाई को गुर्जर समुदाय के लोगों ने गोंड आदिवासियों पर जमीन के कब्जे को लेकर हमला कर दिया था। गांव के प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर ने एक बड़ी जमीन खरीदी थी, लेकिन इस पर पीढ़ियों से आदिवासी खेती कर रहे थे। प्रधान 200 से ज्यादा लोगों को लेकर इसी जमीन पर कब्जा करने के लिए आया था।
इस दौरान प्रधान के लोगों ने आदिवासियों पर बंदूक, डंडा, गंडासे और दूसरे हथियारों से हमला कर दिया, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई। वहीं 24 से ज्यादा घायल हो गए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ आज सोनभद्र का दौरा कर पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने वाले हैं।
दो दिन पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी सोनभद्र जाकर पीड़ितों से मिलना चाहती थीं, लेकिन योगी सरकार ने उन्हें वहां जाने से न सिर्फ रोक दिया था बल्कि गिरफ्तार कर चुनार किले में कैद कर दिया था। बाद में पीड़ितों ने किले में ही आकर प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी।
इसके अलावा दूसरे विपक्षी नेता भी सोनभद्र जाने के लिए उत्तर प्रदेश पहुंचे थे, लेकिन योगी सरकार ने किसी को भी सोनभद्र जाने की इजाजत नहीं दी।