योगी आदित्यनाथ से घबराए बदमाश अब ले रहे इस प्रदेश में शरण

उत्तराखंड पुलिस तो हाथ भी नहीं लगाती, चलो वहीं पर बड़ा हाथ मार आते हैं... मोबाइल पर दो अपराधियों के बीच चल रही यह बातचीत सर्विलांस के जरिये सामने आई है। इससे जाहिर हो रहा है कि यूपी में योगी सरकार की सख्ती के चलते अपराधियों को उत्तराखंड सुरक्षित ठिकाना लग रहा है। हाल ही में चोरी, लूट और ठगी की कई घटनाओं में भी यह बात सामने आई है कि बदमाश घूमने के बहाने यहां आए और वारदात को अंजाम देकर निकल गए।गढ़वाल रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अजय रौतेला भी मानते है कि कुछ समय बाहरी राज्यों के अपराधियों की सक्रियता बढ़ी है। कई गैंग दून घाटी में घूमने के साथ अपराधों को भी अंजाम दे जाते हैं। समय-समय पर सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और बिजनौर के पुलिस अधिकारियाें से समन्वय बनाकर सक्रिय अपराधियों के बारे में जानकारी साझा की जाती है।
इन घटनाओं में शामिल रहे यूपी के अपराधी
प्रेमनगर में पेट्रोल पंप मालिक गगन भाटिया को गोली मारकर कई लाख का कैश लूटने वाले बदमाश के तार बिजनौर से जुड़े थे। जेल में रहते हुए रोहन राठी ने साथी कामेन्द्र उर्फ बुल्ला, विपिन और अजय उर्फ अजब सिंह के साथ मिलकर देहरादून में लूट की बड़ी वारदात अंजाम देने की योजना बनाई थी। जेल से जमानत मिलते ही राहुल ने बिजनौर में एक दिन भी रुकने का जाखिम नहीं लिया।

जेल से बाहर आते ही रोहन राठी ने अपने साथियों के साथ देहरादून का रुख कर लिया था। यह बात अलग है कि पुलिस ने उन्हें दबोच लिया। मिंत्रा ऑनलाइन कंपनी के ऑफिस में डकैती करने वाले सहारनपुर के बदमाशों की सोच भी यही थी कि पुलिस उन तक नहीं पहुंच पाएगी। वोल्वो बस में चोरी के आरोप में पटेलनगर पुलिस द्वारा पकड़े गए छह बदमाश भी मुरादाबाद और अमरोहा के ही थे। इसी तरह क्लेमेंटाउन, नेहरू कालोनी और पटेलनगर की चोरी में वेस्ट यूपी के शातिर पकडे़ गए।
35 प्रतिशत अपराधों में यूपी के बदमाशाें की संलिप्तता
पुलिस मुख्यालय द्वारा पूर्व में कराए गए सर्वे में मकानाें में चोरी, वाहन और चेन स्नेचिंग की घटनाओं में 35 प्रतिशत यूपी के अपराधियाें की संलिप्तता रहती है। जबकि 60 प्रतिशत घटनाओं में स्थानीय लोगों का हाथ रहता है।

इनमें से अधिकांश नशे की लत का शिकार हैं। पांच प्रतिशत अपराधी हरियाणा, दिल्ली और दूसरे राज्याें से जुड़े होते हैं। पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अशोक कुमार का कहना है कि वर्तमान में वेस्ट यूपी के अपराधियों की सक्रियता तेजी से बढ़ी है। 
रनबीर एनकाउंटर के बाद से बैक फुट पर पुलिस
यूपी का हिस्सा होते समय उत्तराखंड में पुलिस एनकाउंटर की फेहरिस्त लंबी थी। उत्तराखंड बनने के बाद बागपत के रनबीर सिंह की तीन जुलाई 2009 को एनकाउंटर बताकर की गई हत्या के बाद पुलिस क टघरे में आ गई थी।

इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने 17 पुलिस कर्मियों आजीवन कारावास हुई थी। इस घटना के बाद जहां से एक ओर उत्तराखंड पुलिस के दामन पर बदनुमा दाग लग गया था। वहीं दूसरी ओर पुलिस के मनोबल को झटका लगा था, जिससे पुलिस अब तक उबर नहीं पाई है।

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