कांग्रेस ने BSNL मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा, बोली- कंपनी डुबोने में लगी सरकार

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड के मुद्दे पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि पूंजीपति मित्रों की हितैषी भाजपा सरकार ने बीएसएनएल को डुबोने का पूरा प्लान बना लिया है. बकाया बिजली बिल के चलते बीएसएनएल के 1083 टॉवर्स और 524 एक्सचेंड ठप्प हो गए हैं जिससे करोड़ों यूजर्स परेशान होंगे. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की मंशा तिल तिल कर बीएसएनएल को कमजोर करने की कवायद है ताकि उसे बेचा जा सके.
अभी हाल में मीडिया में जारी खबरों को अफवाह बताकर खारिज करते हुए बीएसएनएल ने कहा कि कंपनी को बंद करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. कंपनी ने एक बयान में कहा, "बीएसएनएल को बंद करने का कोई प्रस्ताव नहीं है, जैसा कि मीडिया के एक वर्ग की ओर से अपनी रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है. कड़ी प्रतिस्पर्धा और टैरिफ कम होने के कारण, बीएसएनएल पिछले कुछ महीनों से वित्तीय संकट का सामना कर रहा है." बयान के अनुसार, केंद्र सरकार बीएसएनएल को फिर खड़ा करने के लिए सक्रियता से एक योजना बना रही है, जिसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद की ओर से लोकसभा में दिए गए एक लिखित जवाब के मुताबिक, बीएसएनएल को वित्त वर्ष 2018-19 में 14,000 करोड़ रुपए का घाटा होने का अनुमान है जबकि इसका राजस्व करीब 19,308 करोड़ रुपए रहने का अनुमान है.
वेतन पर बीएसएनएल का खर्च कंपनी के कुल खर्च 14,4888 करोड़ रुपए का 75 फीसदी रहने का अनुमान है. कंपनी का अस्थायी घाटा 2015-16 में 4,859 करोड़ रुपए, 2016-17 में 4,793 करोड़ रुपए और 2017-18 में 7,993 करोड़ रुपए था. बीएसएनएल का घाटा 2018-19 में बढ़कर 14,202 करोड़ रुपए होने का अनुमान है. सरकार बीएसएनएल और एमटीएनएल में सुधार लाने की योजना बना रही है.

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