झारखंड चुनाव की तैयारी में जुटा महागठबंधन, कोई पार्टी नहीं छोड़ेगी जीती हुई सीट

झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को मात देने की कवायद में महागठबंधन जुट गया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने बुधवार को कांग्रेस, आरजेडी और झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) समेत विपक्षी दलों के साथ बैठक कर 'विनिंग फॉर्मूला' की रणनीति बनाई. इसके तहत तय हुआ कि महागठबंधन में शामिल दल अपनी जीती हुई सीटें नहीं छोड़ेंगे.
महागठबंधन की बैठक में हेमंत सोरेन, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम, जेवीएम के प्रदेश प्रवक्ता सरोज सिंह, आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह और मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) के अरूप चटर्जी शामिल हुए. हालांकि इस बैठक में जेवीएम अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार शामिल नहीं हुए.
करीब दो घंटे से ज्यादा चली विपक्षी नेताओं की इस बैठक में सीट शेयरिंग से लेकर तमाम रणनीतियों पर चर्चा हुई. इस बैठक में तय हुआ है कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन विधानसभा चुनाव में उतरेगा. इसके अलावा इस बात पर भी सहमति बनी कि 2014 की जीती हुई सीटों में किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. मतलब साफ है कि जहां से जिस पार्टी का विधायक है वहां पर वही पार्टी चुनाव लड़ेगी. आगामी विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की कोशिश वामदलों को भी मिलाने की है.
झारखंड के सियासी समीकरण को देखें तो मौजूदा समय में बीजेपी के पास 43 और उसके सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (एजेएसयू) के पास 3 विधायक हैं. इस तरह से रघुवर दास सरकार को कुल 46 विधायकों का समर्थन है. जबकि विपक्षी दलों के पास कुल 32 विधायक हैं. इसमें 19 जेएमएम, 09 कांग्रेस, 02 जेवीएम और एक-एक माले व मासस के पास है.
महागठबंधन की बैठक से साफ हो गया है कि 81 में 32 सीटों को छोड़कर बाकी बची सीटों में बंटवारा होगा. माना जा रहा है कि जेएमएम ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और दूसरे नंबर पर कांग्रेस रहेगी. हालांकि भाजपा में शामिल होने वाले  जेवीएम के छह विधायकों की सीटों पर अभी बात नहीं हो सकी है. इसके अलावा वामपंथी दल को साथ मिलने की जिम्मेदारी हेमंत सोरेन की होगी.

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