बिक रही है 34 साल पुरानी ये सरकारी कंपनी, मोदी सरकार ने जारी किया टेंडर

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए हेलीकॉप्टर सेवाएं देने वाली सरकारी कंपनी पवन हंस में अपनी पूरी 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए ग्लोबल टेंडर मंगाया है. 22 अगस्त टेंडर भरने की आखिरी तारीख है. आपको बता दें कि कंपनी लगातार घाटे में चल रही है. फाइनेंशियल ईयर 2018-19 में कंपनी को करीब 89 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. वहीं, कंपनी पर 230 करोड़ रुपये का कर्ज भी है. आपको बता दें कि सरकारी कंपनी ओएनजीसी की पवनहंस में 49 फीसदी हिस्सेदारी है. साथ ही, ओएनजीसी के बोर्ड ने हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे दी है. पवनहंस की स्थापन आज से 34 साल पहले 1985 में हुई थी.
मैजिक नंबर से पिछड़े कुमारस्वामी, ये 6 विकल्‍प
क्या करती है पवन हंस

पवन हंस भारत की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर सेवाएं देने वाली कंपनी है. इसके पास करीब 50 हेलीकॉप्टर हैं. पवन हंस की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, कंपनी हेलीकॉप्टर के अलावा अपने हेलीपोर्ट और हेलीपैड बना रही है. इसके अलावा कंपनी सी प्लेन और छोटे हवाई जहाज चलाने की भी तैयारी कर रही है.

>> कंपनी के पास 10 लाख घंटों से ज्यादा की उड़ान का अनुभव है. कंपनी में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी पवन हंस लिमिटेड यानी सीधे भारत सरकार और 49 प्रतिशत हिस्सेदारी ओएनजीसी की है.
>> ओएनजीसी अपने काम में पवन हंस के हेलीकॉप्टर ही इस्तेमाल करता है. सिविल उड़ानों के अलावा बीएसएफ के छह ध्रुव हेलीकॉप्टर्स को भी एचएएल के लिए पवन हंस ही चलाता है.
साल 2015 में कंपनी ने 11 नए हेलीकॉप्टर और दो सीप्लेन खरीदने का प्रस्ताव सरकार को दिया था. साल 2017 में कंपनी का मुनाफा 38.8 करोड़ रुपये था. साल 2014 से 2016 के बीच पवन हंस ने 38 छोटी-बड़ी दुर्घटनाओं का सामना किया. पवनहंस के कई हेलीकॉप्टर क्रैश हुए.

>> साल 2011 में अरुणाचल प्रदेश के सीएम दोरजी खांडू भी पवन हंस के हेलीकॉप्टर में सवार थे जो क्रैश हो गया और उनकी मौत हो गई.

>> ओएनजीसी के अधिकारियों को ले जा रहा हेलीकॉप्टर 2015 में क्रैश हो गया था. डीजीसीए के ऑडिट में पवन हंस के कई हेलीकॉप्टरों की हालत सही नहीं पाई गई. वो सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतर रहे थे.
>> एविएशन एक्सपर्ट्स बताते हैं कि साल 2017 में शुरू हुई क्षेत्रीय कनेक्विटी योजना 'उड़ान' से पवन हंस को बड़ी उम्मीदें थीं. लेकिन हेलीकॉप्टरों की हालत सही नहीं होने के चलते सफल नहीं हो पाई.

>> पवन हंस उड़ान योजना में हिस्सा लेने के लिए छोटे हवाई जहाज खरीदने की योजना बनाई जो धरी की धरी रह गई.

>> प्राइवेट कंपनियों ने इसका जमकर फायदा उठाया. पवन हंस उड़ान नहीं भर सका और प्राइवेट कंपनियां बाजी मार ले गईं.

>> साल 2018 में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने हेलीकॉप्टर बुक करवाए. लेकिन यहां भी कंपनी के मैनेजमेंट की नाकामियों के चलते पवन हंस नाकाम रही और प्राइवेट कंपनियां बाजी मार ले गईं.

>> ऐसे में पवनहंस मुनाफे से घाटे में आ गई . पवनहंस की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि साल 2018-19 में उसे करीब 89 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है.

>> कंपनी पर 230 करोड़ों रुपये का कर्ज भी है. कंपनी प्रबंधन ने एक नोटिस जारी करके कहा, 'कंपनी की ओवरऑल परफॉर्मेंस की समीक्षा करते हुए सामने आया है कि कंपनी असहज आर्थिक परिस्थिति से गुजर रही है. इंडस्ट्री का भविष्य भी तय नहीं है.
>> आर्थिक परफॉर्मेंस के मामले में 2018-19 में कंपनी का रिवेन्यू तेजी से कम हुआ है और कंपनी को 89 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

More videos

See All