क्या इस बार भी सरकार बचा पाएँगे 'संकटमोचक' डीके शिव कुमार?

कांग्रेस के विधायकों को भारतीय जनता पार्टी से महफ़ूज रखने वाले कांग्रेस के 'संकटमोचक' डीके शिव कुमार क्या इस बार भी सफल हो पायेंगे? शिव कुमार बुधवार सुबह ही मुंबई पहुँच गए और उस होटल के सामने वाले होटल में ठहरे हैं, जहाँ कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के इस्तीफ़ा देने वाले विधायक ठहरे हुए हैं। शिव कुमार ख़ुद मुंबई आ जायेंगे, इसकी किसी को उम्मीद नहीं थी और इसे कांग्रेस की बड़ी रणनीति माना जा रहा है। 
सामान्य तौर पर विधायकों और सांसदों की ख़रीद- फ़रोख़्त का खेल सत्ता के गलियारों में ऐसे समय में खेला जाता है जब लोग राजनीतिक हलचलों से बेख़बर होते हैं लेकिन ऑपरेशन कमल के तहत कर्नाटक में यह खेल पिछले एक साल से लगातार खेला जा रहा है। और शिव कुमार जिस तरह से मुंबई में तमाम विरोध और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की नारेबाज़ी के बीच होटल में प्रवेश की अपनी जिद पर अड़े हुए हैं, यह भी उनकी एक राजनीतिक चाल ही लगती है।
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जिस ऑपरेशन कमल का सच टीवी चैनल पिछले एक साल से दिखाने से बच रहे हैं, शायद वह सच शिव कुमार होटल के बाहर अपनी उपस्थिति से उजागर करने आये हैं। विधायकों की ख़रीद-फरोख़्त या दल-बदली का ऐसा तमाशा शायद ही हमारे देश में इससे पहले कभी हुआ हो। कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के मुँह से सरकार को निकालकर लाना और गठबंधन की सरकार बनवाने में शिव कुमार ने बड़ी भूमिका निभाई थी। 

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