कर्नाटक: इस्तीफ़ों पर आज फ़ैसला टाल सकते हैं स्पीकर

कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार ने विधायकों का इस्तीफ़ा स्वीकार करने पर जल्दबाज़ी में फ़ैसला न लेने के स्पष्ट संकेत दिए हैं. हाल ही में सत्ताधारी गठबंधन के दर्जन भर से ज़्यादा विधायकों ने अपनी सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया था. माना जा रहा है कि इनमें से ज़्यादातर विधायक भाजपा के संपर्क में हैं.
स्पीकर रमेश कुमार ने बीबीसी हिंदी से बातचीत में कहा, "मैं क़ानूनी सलाह लूंगा. मैं एक पूर्व महाधिवक्ता से मिलकर उनसे यह परामर्श लूंगा कि मुझे सौंपे गए इस्तीफ़ों पर क्या फ़ैसला लेना चाहिए."
फ़ैसले में देरी से क्या होगा?
अगर स्पीकर कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के एक दर्जन विधायकों के इस्तीफ़े पर फ़ैसला लेने में समय लेते हैं तो एचडी कुमारस्वामी को अपनी गिरती हुई सरकार बचाने का थोड़ा समय और मिल जाएगा.
इससे कांग्रेस और जेडीएस नेतृत्व अपने विधायकों को इस्तीफ़े के फ़ैसले पर पुनर्विचार करने के लिए दबाव डाल सकती है. इस्तीफ़ा देने वाले 12 विधायकों में से कम से कम पांच विधायक ऐसे हैं जो भाजपा के संपर्क में नहीं है और कांग्रेस या पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के वफ़ादार माने जाते हैं.
शनिवार को 11 विधायक स्पीकर के दफ़्तर पहुंचे और असेंबली की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया. आनंद सिंह ने अपना पत्र 1 जुलाई को भेजा. इनमें से आठ विधायक ऐसे हैं जो दिसंबर से बीजेपी के संपर्क में हैं. इनके साथ पांच और विधायक जुड़ गए. जिनमें पूर्व गृह मंत्री रामलिंगा रेड्डी भी शामिल हैं.
स्पीकर क्या फ़ैसला ले सकते हैं?
इन लोगों ने भी मौक़े को देखते हुए इस्तीफ़ा दे दिया. ताकि वे राज्य के कांग्रेसी नेताओं से हिसाब चुकता कर सकें क्योंकि उन्हें या तो मंत्रालय में जगह नहीं दी गई या जेडीएस मंत्रियों ने उनके साथ भेदभाव किया.
स्पीकर ने कहा, "वो रूलबुक, संविधान और अपने विवेक के आधार पर फ़ैसला लेंगे." उन्होंने कहा, "मेरे लिए लोगों की भावनाएं जानना भी ज़रूरी है." उन्होंने बाद में पत्रकारों से कहा, "मैं ये नहीं कह सकता कि मैं फ़ैसला आज लूंगा या कल लूंगा या दो साल बाद लूंगा. मुझे क़ानून की भावना और उसकी व्याख्या समझनी होगी."
स्पीकर ने बीबीसी का वो सवाल टाल दिया, जिसमें पूछा गया था कि क्या वो विधायकों को ख़ुद आकर ये साफ़ करने के लिए कहेंगे कि उन्होंने स्वेच्छा से विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा दिया है.
रमेश कुमार के स्टैंड ने अब ज़िम्मेदारी बीजेपी पर डाल दी है कि वो उन विधायकों, जिन्हें दिसंबर से जब-तक मुंबई के एक होटल में ले जाया जाता रहा है, उन्हें रूल बुक के मुताबिक स्पीकर के सामने पेश करें. इस बीच बीजेपी लगातार ये कह रही है कि वो जेडीएस और कांग्रेस के उन 10 विधायकों के संपर्क में हैं, जो इस्तीफ़ा देकर बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं.
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क्या है बहुमत का आंकड़ा?
अगर स्पीकर सभी विधायकों के इस्तीफ़े स्वीकार कर लेते हैं तो कुमारस्वामी की सरकार अपना बहुमत खो देगी. इन दर्जनभर इस्तीफ़ों से विधानसभा की क्षमता घटकर 212 हो जाएगी. सदन की संख्या घटने के बाद सरकार बनाने के लिए ज़रूरी बहुमत का आंकड़ा 106 हो जाएगा. बीजेपी के पास पहले से 105 विधायक हैं. दो निर्दलीय विधायकों, एच. नागेश और आर. शंकर ने सिर्फ़ 21 दिनों के भीतर मंत्रालय से इस्तीफ़ा दे दिया था.
उनके इस्तीफे़ से बीजेपी को मज़बूती मिली है. अगर वे समर्थन करते हैं तो उनका आंकड़ा 107 पहुंच गया. जेडीएस और कांग्रेस को मिलाकर 105 विधायक हैं. साथ ही कांग्रेस ने फ़ैसला लिया है कि वह इस्तीफ़ा देने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए स्पीकर के पास याचिका दायर करेगी. कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा, "विधायकों के लिए कोई आख़िरी तारीख़ तय नहीं की गई है. मैं सभी से घोषणा करता हूं कि वह वापस आ जाएं. वरना आपको परिणाम भुगतने होंगे." उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि स्पीकर उन्हें छह साल के लिए अयोग्य घोषित करें."

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