क्‍या 5 मिनट की देरी से बिगड़ गया कांग्रेस-JDS का खेल?

कर्नाटक में संकट में घिरी जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार की हालत सोमवार को तब और ज्यादा खराब हो गई, जब निर्दलीय विधायक और लघु उद्योग मंत्री एच. नागेश ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर 13 महीने पुरानी गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. इस स्थिति से जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बच सकती थी अगर वरिष्‍ठ कांग्रेसी नेता और संकटमोचक कहे जाने वाले डीके शिवकुमार 5 मिनट लेट न होते. नागेश को रोकने के लिए जबतक डीके शिवकुमार HAL एयरपोर्ट पहुंचे उससे पांच मिनट पहले ही नागेश स्‍पेशल फ्लाइट लेकर मुंबई के लिए रवाना हो चुके थे.
बता दें कि, नागेश के चुनाव जीतने में डीके शिवकुमार ने अहम भूमिका निभाई थी. वह कोलार जिले की मुलबगल विधानसभा सीट से जीते थे. राजनीती में आने से पहले नागेश कर्नाटक पॉवर प्लांट ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन में इंजीनियर थे. नागेश को बमुश्किल एक महीने पहले ही 34 सदस्यीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. बताया जा रहा  कांग्रेस-जेडीएस के शीर्ष नेताओं के उस फैसले से नाराज थे जिसमे बागी विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह देने के लिए सभी मंत्रियों से इस्‍तीफे ले लिए गए थे.
नागेश ने शहर के मध्य स्थित राजभवन में राज्यपाल को अपना इस्तीफा सोमवार को सौंपा. उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि वह 13 महीने पुरानी सरकार से अपना समर्थन वापस ले रहे है. नागेश ने पत्र में लिखा, “इस पत्र के माध्यम से आपको यह भी सूचित करना चाहूंगा कि मैं कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले रहा हूं.” नागेश कोलार जिले की मुलबगल (अनुसूचित जाति) विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए थे.
राजभवन से नागेश सीधे HAL एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए थे, जहां बीजेपी अध्‍यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्‍पा के पर्सनल असिस्‍टेंट उनका इंतजार कर रहे थे. नागेश चंद मिनटों में प्लेन पे सवार होकर मुंबई निकल गए. खबर लगते ही शिवकुमार तुरंत एयरपोर्ट के लिए निकले, लेकिन जबतक वह पहुंचे तबतक नागेश जा चुके थे.
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कांग्रेस का BJP पर आरोप 
नागेश के साथ ही केपीजेपी के एकमात्र विधायक और सरकार में मंत्री आर. शंकर ने भी मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार के संकट के लिए भाजपा पर आरोप लगाया है. कांग्रेस विधायक डी.के. सुरेश ने संवाददाताओं से कहा, “राज्य में इस राजनीतिक संकट के पीछे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय नेताओं का हाथ है. वे किसी भी राज्य में कोई सरकार या किसी विपक्षी दल की सरकार नहीं चाहते हैं। वे लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं. “
राजनाथ सिंह का पलटवार 
भाजपा के नेताओं ने इस आरोप पर पलटवार किया है.  रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा, “कर्नाटक में आज जो कुछ हो रहा उससे बीजेपी का कोई संबंध नहीं है, हमने कभी भी इस तरह से किसी पर दवाब बनाया. हालांकि राजनाथ सिंह ने कहा कि इस्तीफे की शुरुआत तो राहुल गांधी ने ही कर दी थी.”
सरकार के पास 113 विधायकों का था समर्थन
उल्लेखनीय है कि इस्तीफे से पहले 225 सदस्यीय विधानसभा में गठबंधन के पास 118 विधायकों का समर्थन था, यह बहुमत के आंकड़े 113 से पांच ज्यादा है. इनमें विधानसभा अध्यक्ष को छोड़कर 78 कांग्रेस के, जद (एस) के 37 और बसपा एवं कर्नाटक प्रज्ञंयवंता जनता पार्टी (केपीजेपी) के एक-एक और एक निर्दलीय विधायक शामिल थे. गठबंधन सरकार में 34 सदस्यीय मंत्रिमंडल में कांग्रेस से 22, जद (एस) से 10, केपीजेपी के एक और एक निर्दलीय विधायक शामिल थे. राज्य विधासभा का 10 दिवसीय मॉनसून सत्र 12 जुलाई से शुरू होने वाला है.
सभी नजरें विधानसभा अध्यक्ष पर 
अब सभी नजरें विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश पर टिकी हैं. वह मंगलवार को कांग्रेस के 10 और जद (एस) के तीन विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेंगे. कांग्रेस नेता सिद्धारमैया मंगलवार सुबह से कांग्रेस विधायकों की बैठक में हिस्‍सा ले रहे हैं. कांग्रेस नेता MTB नागराज खराब तबीयत की वजह से इस बैठक में शामिल नहीं हुए हैं. बैठक में बागी विधायकों को भी शामिल होने के लिए कहा गया है. इसके लिए व्हिप जारी किया गया है. उधर JD(S) ने भी मंगलवार को अपने विधायकों की बैठक बुलाई है. बीजेपी विधायक भी बीएस येदियुरप्‍पा से मिलने उनके आवास पहुंचे हैं.

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