मोदी सरकार की दूसरी पारी का पहला बजट पेश करते हुए अगले पांच साल में देश को 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने और बुनियादी ढांचे में एक लाख करोड़ रुपये के निवेश का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है. इसके बाद ही तमाम जानकार यह सवाल उठाने लगे कि इतनी बड़ी रकम आएगी कहां से. बजट में वित्त मंत्री ने विदेश से कर्ज और अन्य तरीके से धन जुटाने की बात कही है. अब सरकार ने संकेत दिया है कि इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इसके लिए पहला सॉवरेन बॉन्ड जारी किया जाएगा.
वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में (अक्टूबर से अप्रैल) बॉन्ड बेचकर विदेश से धन जुटाने की योजना बना रही है. गर्ग से पूछा गया था कि क्या सरकार चालू वित्त वर्ष में सॉवरेन बॉन्ड जारी करेगी. उन्होंने बताया कि मर्चेट बैंकर की नियुक्ति समेत बॉन्ड की मात्रा, समय और संख्या के साथ बाजार के संबंध में फैसला अगले महीने लिया जा सकता है. उन्होंने कहा, 'नीतिगत घोषणा हो गई है कि भारत सॉवरेन बॉन्ड जारी करेगा और इसकी प्रक्रिया जल्द शुरू हो जाएगी. केंद्र सरकार की दूसरी तिमाही के उधारी कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के बाद इसकी शुरुआत की जाएगी.'
गृह मंत्रालय द्वारा 1964 के विदेशी न्यायाधिकरण आदेश में किए गए बदलावों का अर्थ क्या है?क्या होता है सॉवरेन बॉन्डसबसे पहले यह समझें कि बॉन्ड क्या होता है. बॉन्ड निश्चित रिटर्न देने वाला एक ऐसा साधन होता है जिसके द्वारा कंपनियां या सरकार कर्ज जुटाती हैं. जो बॉन्ड खरीदता है वह एक तरह से सरकार या कंपनी को कर्ज दे रहा होता है और उसे इसके बदले एक निश्चित समय में मूलधन के साथ एक निश्चित रिटर्न देने का वायदा किया जाता है. सॉवरेन बॉन्ड किसी सरकार द्वारा जारी एक ऐसा डेट सिक्यूरिटी होता है जिसे विदेशी मुद्रा में भी जारी किया जा सकता है. इस तरह विदेश में सॉवरेन बॉन्ड जारी कर सरकार धन जुटाएगी और उस पैसे को विकास में लगाएगी. बाद में मैच्योरिटी पर यह पैसा सूद के साथ वापस किया जाएगा.