संग्राम मचा है कांग्रेस-JDS में, लेकिन चर्चा 'ऑपरेशन कमल' की क्‍यों हो रही है?

 कर्नाटक की सियासत में सत्‍तारूढ़ जेडीएस-कांग्रेस के बीच घमासान जारी है. कर्नाटक की राजनीति में जब भी किसी प्रकार के दलबदल या राजनीतिक उठा पटक की बात आती है तो एक शब्द "ऑपरेशन कमल " बार-बार मीडिया से लेकर राजनेताओं की जुबान पर चढ़ने लगता है.  इस संदर्भ में क्या है ऑपरेशन कमल और क्यों है कर्नाटक की राजनीति में इसका मतलब?
इसे जानने के लिये 2008 में कर्नाटक की राजनीति के पन्नों को पलटना होगा. 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में बीएस येदियुरप्‍पा के नेतृत्‍व में भाजपा पहली बार 110 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी तो थी फिर भी सत्ता की कुर्सी उससे 3 सीट की दूरी पर थी. ऐसे में येदियुरप्‍पा ने उस समय चुनकर आए 6 निर्दलीय विधायकों की मदद से मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल तो कर ली थी पर वो इस बात को समझ चुके थे कि निर्दलीय विधायकों के समर्थन से वो सत्ता को स्थिर नहीं रख पाएंगे. अपनी ताकत सदन में बढ़ाने के लिये कहा जाता है कि येदियुरप्‍पा ने ऑपरेशन कमल चलाया.

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