क्यों उग्रवादियों और पत्थलगड़ी समर्थकों के टारगेट पर था सुखराम मुंडा

पत्थलगड़ी के अगुवा रहे कोचांग के ग्राम प्रधान सुखराम मुंडा की हत्या के मामले में पुलिस को दूसरे दिन भी कोई ठोस सुराग नहीं मिल सका है। सूत्र बताते हैं कि पुलिस की मदद करने की वजह से सुखराम उग्रवादियों और पत्थलगड़ी समर्थकों के टारगेट पर था। बताया जा रहा है कि कोचांग में पुलिस पिकेट खोलने के लिए सुखराम ने पुलिस की मदद की थी। उसी समय पत्थलगड़ी समर्थक सुखराम विश्वासपात्रों की सूची से अलग हो चुका था। घटना के बाद रविवार को पुलिस फिर घटनास्थल पर पहुंची और गहन जांच की। हालांकि अधिकारिक तौर पर कोई भी पुलिस अधिकारी कुछ भी बताने से इन्कार कर रहे हैं।
गौरतलब है कि शनिवार की रात पत्थलगड़ी प्रभावित क्षेत्र कोचांग में सुखराम मुंडा को अज्ञात अपराधी ने पीठ में सटाकर गोली मारी थी। इससे सुखराम की पीठ को छेदते हुए गोली छाती से निकल गई थी। घटना की सूचना सबसे पहले मृतक के परिजनों को चौक में ही चना बेचने वाले युवक ने दी। घटना के दिन बीरबांकी में साप्ताहिक हाट लगा हुआ था, इसलिए अपराधी पहचान में नहीं आ सका। मृतक के भाई काली मुंडा ने बताया कि घटना स्थल पर पहुंचने से पहले ही सुखराम की मौत हो चुकी थी। फिर भी शव लेकर वे कोचांग के पुलिस पिकेट पर पहुंचे थे। वहां परिवार के अन्य सदस्यों की सुरक्षा की गुहार लगाई थी। इस बीच पुलिस ने सुरक्षा का आश्वासन देते हुए देर रात शव को कब्जे में लिया और अड़की थाना ले गए। रविवार की सुबह शव का पोस्टमार्टम करवाने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया। परिजनों के अनुसार सोमवार को उसके शव को दफनाया जाएगा।
 
 

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