CM योगी की राह पर अरविंद केजरीवाल, जानिए- क्यों दिल्ली में भी भ्रष्ट अफसरों की खैर नहीं

उत्तर प्रदेश में सीएम योगी की तर्ज पर अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी भ्रष्ट और नकारा कर्मचारियों-अधिकारियों पर कार्रवाई का मन बना लिया है। इसके तहत दिल्ली में भी भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी अब बख्शे नहीं जाएंगे। उन्हें जबरन सेवानिवृत्त करने के उप राज्यपाल के निर्णय पर अब दिल्ली सरकार ने भी अपनी मुहर लगा दी है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्य सचिव विजय कुमार देव के साथ बैठक की है।
बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कैबिनेट के सभी सदस्यों को अपने-अपने विभागों में ऐसे अधिकारियों एवं कर्मचारियों की एक सूची तैयार करने के निर्देश दिए हैं। ताकि उन्हें जबरन सेवानिवृत्त किया जा सके। यह कार्रवाई सेंट्रल सिविल सर्विसेस (पेंशन) रूल्स, 1972 के फंडामेंटल रूल 56 (जे) के तहत ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को सेवानिवृत्त करने के केंद्र सरकार की पहल के आधार की जाएगी। इससे पहले बृहस्पतिवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल ने भी मुख्य सचिव, डीडीए उपाध्यक्ष और पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर एक माह में भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
मुख्यमंत्री  केजरीवाल एवं दिल्ली सरकार शुरू से ही भ्रष्ट अधिकारियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोरता बरतने की नीति पर काम करती रही है। केजरीवाल ने बतौर मुख्यमंत्री अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2013-14 में 49 दिनों के कार्यकाल में ही भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई का आदेश दिया था।
वर्तमान कार्यकाल में भी दिल्ली सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अधिकारियों के प्रति पूरी तरह से कठोर रही है। सरकार का ऐसा मानना है कि ऐसे अधिकारी दिल्ली के लोगों के लिए बनाई जाने वाली विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को बर्बाद करते हैं और जनता के हक के पैसों से अपना घर भरते हैं।
यहां पर बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को किसी भी कर्मचारी व अधिकारी का भ्रष्टाचार तथा नकारापन बर्दाश्त नहीं है। भ्रष्टाचार व नकारापन के खिलाफ योगी आदित्यनाथ एक्शन में हैं। उन्होंने अब तक 600 के खिलाफ कार्रवाई की है। जिनमें से 201 को जबरिया सेवानिवृति भी दी गई है। इस कार्रवाई के अलावा 150 से ज्यादा अधिकारी अब भी सरकार के रडार पर हैं। इनमें ज्यादातर आईएएस और आईपीएस अफसर हैं। इन सभी पर फैसला केंद्र सरकार लेगी। इन अधिकारियों की सूची तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 50 वर्ष से अधिक उम्र के भ्रष्ट, नाकारा व अकर्मण्य सरकारी अधिकारी-कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर जोर दिया है। इस कड़ी में प्रदेश में 400 से अधिक सरकारी कर्मियों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। प्रदेश सरकार ने 201 अधिकारियों और कर्मचारियों को जबरन वीआरएस दिया है, जबकि 400 से ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों को दंड दिया गया है यानी अब उनका प्रमोशन नहीं होगा, साथ ही उनका तबादला किया गया है। कुछ निलंबित होंगे जबकि बचे लोगों को प्रतिकूल प्रविष्टि दी जाएगी।
सचिवालय प्रशासन विभाग की 20 जून को समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेईमान और भ्रष्ट अधिकारियों को आड़े हाथ लिया था। उन्होंने कहा था कि अब बेईमान-भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सरकार में कोई जगह नहीं है। इन्हें तत्काल वीआरएस दे दीजिए। इन प्रतिकूल प्रविष्टि मिलने से प्रोन्नति नहीं हो सकेगी। बीते दो वर्ष में करीब 600 अधिकारियों पर कार्रवाई की गयी है। इनमें 169 बिजली विभाग के अधिकारी हैं। 25 अधिकारी पंचायती राज, 26 बेसिक शिक्षा, 18 पीडब्ल्यूडी विभाग के और बाकी अन्य विभाग के हैं।
पिछले दो वर्षों में योगी आदित्यनाथ सरकार ने 50 वर्ष की उम्र पार कर चुके सवा छह सौ अधिकारियों और कर्मचारियों को चिह्नित किया। 201 सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया था। इनके अलावा बाकी लोगों का नाम वृहद दंड के लिए प्रस्तावित किया गया। अब उन्हीं कार्मिकों पर कार्रवाई होनी है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव डा. अनूप चंद्र पांडेय ने नियुक्ति व कार्मिक विभाग को यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि सभी विभागों से 50 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके नाकारा अधिकारियों-कर्मचारियों का ब्यौरा हासिल करें। डा. पांडेय ने तीन जुलाई तक इसके लिए संकलन के निर्देश दिये थे। अभी तक सभी विभागों ने अपना ब्योरा नहीं भेजा है लेकिन, कमोबेश आकलन कर लिया गया है।

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