हाईकोर्ट सख्त- बिना शिड्यूल बीएड एडमिशन मामले में सरकार पर 50 हजार का हर्जाना
हाईकोर्ट ने बीएड कोर्स में एडमिशन के मामले में तय शिड्यूल का पालन नहीं होने पर राज्य सरकार पर 50 हजार रुपए का हर्जाना लगाते हुए नए शिड्यूल को मंजूरी दी है। साथ ही हर्जाना राशि को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने के लिए एक महीने का समय दिया है। जस्टिस एम रफीक व एनएस ढड्डा की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार के प्रार्थना पत्र पर दिया।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एएजी डॉ. विभूति भूषण शर्मा ने अदालत से कहा कि बीएड कोर्स में एडमिशन के लिए पूर्व में कोर्ट ने शिड्यूल तय किया था, जिसे अब बदला जाए। उन्होंने कहा कि उस शिड्यूल के तहत एनओसी के लिए 31 मार्च तक का समय तय किया था, लेकिन चुनाव की आचार संहिता के कारण उस दौरान एनओसी देना संभव नहीं हो पाया। जबकि इस मामले में चुनाव आयोग से मंजूरी के लिए 13 मार्च को ही प्रक्रिया शुरू कर दी थी। लेकिन आयोग से सरकार को पत्र 26 अप्रैल को मिला है, इसलिए बीएड में एडमिशन का शिड्यूल नए सिरे से तय किया जाए।
सरकार का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने कहा कि आए दिन ऐसे मामले कोर्ट के सामने आ रहे हैं जिनमें एनसीटीई के कॉलेजों को मान्यता देने के बाद भी उन्हें एनओसी नहीं मिल रही। ऐसे में अदालती आदेश के पालन में चुनाव आयोग की बाधा बनने की बात को स्वीकार नहीं किया जा सकता। जब आयोग ने 13 अप्रैल को लिखे गए पत्र पर 26 अप्रैल तक कोई कार्रवाई नहीं की तो सरकारी अफसराें ने इसका फॉलोअप क्यों नहीं किया और कोर्ट से अनुमति के लिए भी प्रार्थना पत्र को देरी से दायर किया।
हालांकि इस मामले में चुनाव आयोग से किसी मंजूरी लेने की जरूरत ही नहीं थी, जबकि कोर्ट के आदेश पर शिक्षा विभाग ने शिड्यूल का सख्ती से पालन करने का शपथ पत्र दिया था। हालांकि अदालत ने सरकार के प्रार्थना पत्र को आंशिक तौर पर स्वीकार करते हुए समन्वयक को सूची सौंपने के लिए 15 जुलाई, काउंसलिंग के लिए दस अगस्त व शैक्षणिक सत्र 19 अगस्त तक शुरू करने की मंजूरी दी।