किसानों के लिए मोदी सरकार की नई स्कीम जीरो बजट खेती, जानिए इससे जुड़ी सभी बातें

किसानों के लिए मोदी सरकार एक और नई स्कीम लाने जा रही है. इस स्कीम का नाम जीरो बजट खेती है. अगर आसान शब्दों में कहें तो आजकल जीरो बजट खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. खासकर दक्षिण भारत में खेती कोऑपरेटिव संस्थान इसके बेहद सफल प्रयोग कर रहे हैं. जीरो बजट खेती के तहत खेती के लिए जरूरी बीज, खाद-पानी आदि का इंतजाम प्राकृतिक रूप से ही किया जाता है. इसके लिए मेहनत जरूर अधिक लगती है, लेकिन खेती की लागत बहुत कम आती है और कीमत अधिक मिलती है. इसीलिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में जीरो बजट खेती का नया प्रस्ताव दिया है.
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आइए जानें इसके बारे में...

जीरो बजट खेती- जीरो बजट खेती में लागत बहुत कम हो जाती है, इसलिए किसानों को फसल को उगाने के लिए कर्ज लेने की जरूरत नहीं होगी और किसान कर्ज के जाल में नहीं आएंगे.

>> जीरो बजट खेती में जरूर इनपुट गांव-खेत से जुटाने के अलावा अतिरिक्त आय पाने के उपाए भी किए जाते हैं. जैसे एक साथ दो फसल लगाना और खेत की मेड़ पर पेड़ लगाना.
>> इस तरह आय बढ़ाने और खर्च कम करने पर जोर दिया जाता है. आमतौर पर किसान रसायनिक खाद का इस्तेमाल करते हैं, जो बहुत महंगी पड़ती है.
>> सरकार को भी इन खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी का बोझ सहना पड़ता है. देशी खाद तैयार करके इस खर्च को बचाया जा सकता है.

>> गांव में गाय के गोबर, गौमूत्र, गुड़, मिट्टी और पानी की मदद से एक से दो सप्ताह में देशी खाद तैयार की जा सकती है.

>> इस तरह नीम, गोबर, गौमूत्र और धतूरे जैसे फलों से देशी कीटनाशक तैयार किया जा सकता है.

>> खेती में बैलों का इस्तेमाल बढ़ाकर डीजल की खपत को कम किया जा सकता है. इस तरह गोवंश संवर्धन का काम भी होगा और खेती की लागत में भी कमी आएगी.

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