अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को ध्यान में रखकर लें फैसला - मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि संवेदनशील, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन देना ही राज्य सरकार का प्रमुख ध्येय है। उन्होंने कहा कि राजस्थान राज्य सेवा के प्रशिक्षु अधिकारी प्रशिक्षण के बाद संविधान की भावना के अनुरूप पूरी निष्ठा के साथ कार्य करते हुए राज्य सरकार की इस भावना पर खरा उतरें। 
गहलोत शनिवार को हरीशचंद्र माथुर राज्य लोक प्रशासन संस्थान में राज्य सेवाओं के आधारभूत प्रशिक्षण शुभारम्भ कार्यकक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि चयन के बावजूद आपको नियुक्ति के लिए 20 माह का इंतजार करना पड़ा। मैं समझ सकता हूं कि आप पर और आपके परिवार पर इसका क्या असर पड़ा होगा। हमारी सरकार ने आपकी तकलीफ को समझा और जल्द से जल्द आपको नियुक्ति दिलाने का प्रयास किया।
मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि जीवन में जब भी कोई फैसला लेने में संकोच हो तो यह सोचकर फैसला लें कि आपके फैसले से अंतिम पंक्ति में खडे़ गरीब व्यक्ति को क्या लाभ होगा। उन्होंने कहा कि गांधीजी का जीवन एक खजाना है। आप सब भी उनकी जीवनी को अवश्य पढें। यह जीवनभर पूंजी के रूप में काम आएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गांधीजी के 150वें जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में प्रदेश में शांति एवं अहिंसा प्रकोष्ठ की स्थापना करने जा रही है। बाद में इसे विभाग के रूप में स्थापित किया जाएगा।
गहलोत ने कहा कि प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस पर ओटीएस की स्थापना की गई थी। नेहरूजी जैसे नेताओं के विजन से ही टेªनिंग के कार्यक्रम इतनी ऊंचाई तक पहुंच सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ओटीएस में सुविधाओं का विस्तार करेगी। मुख्यमंत्री ने यहां नए ऑडिटोरियम और अन्य सुविधाओं के विकास के लिए 20 करोड़ रूपए देने की भी घोषणा की। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि प्रशिक्षण का महत्व समझें और सीखने में किसी तरह का संकोच नहीं करें। यह प्रशिक्षण पूरी राजकीय सेवा के दौरान आपके काम आएगा।

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