दिल्ली की एक अदालत ने केजरीवाल और सिसोदिया के खिलाफ आरोप किया तय, जानिए मामला

 साल 2014 में एक आंदोलन के दौरान राजधानी दिल्ली में निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और विधायक सोमनाथ भारती के खिलाफ आरोप तय किया है।
अडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने कहा कि मामले में शामिल होने की गंभीर शंका के लिए इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। अदालत ने इन नेताओं के बचाव में पेश कई गई सभी दलीलों को ठुकरा दिया है। वहीं  सांसद संजय सिंह और आप के पूर्व नेता आशुतोष को अदालत ने यह कहते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।
जबकि विधानसभा उपाध्यक्ष राखी बिड़ला पर अभी आरोप तय नहीं किए गए क्योंकि वे शुक्रवार को अदालत में पेश नहीं हुईं थी। अदालत ने उन्हें 8 जुलाई को पेश होने का निर्देश दिया तभी उन पर आरोप तय किए जाएंगे।
अदालत ने गैरकानूनी सभा से संबंधित आईपीसी की धारा 143 और 145,  लोक सेवक के आदेश की अवज्ञा करने के लिए धारा 188,  दंगा करने की धारा 147, सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में सार्वजनिक रूप से बाधा डालने के लिए धारा 186  और अपने कर्तव्य के निर्वहन से लोक सेवक को रोकने के लिए किया गया हमला और चोट पहुंचाने के लिए धारा 353 और 332 के तहत आरोप तय किए हैं।
बता दें केजरीवाल और पार्टी के अन्य नेताओं ने सैकड़ों समर्थकों के साथ 20 जनवरी 2014 को दक्षिण दिल्ली में एक कथित ड्रग और वेश्यावृत्ति रैकेट पर छापा मारने से इनकार करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए रेल भवन के बाहर धरना दिया था।पुलिस ने उनके खिलाफ दायर चार्जशीट में दावा किया है कि 19 जनवरी 2014 को सहायक पुलिस आयुक्त ने रेल भवन और संसद मार्ग के पास नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, विजय चौक इलाकों में निषेधाज्ञा लागू की थी, जिसके खिलाफ जाकर उन्होंने यह विरोध प्रदर्शन किया।

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