केकड़े या चूहे, आखिर कौन काट देता है बांध जिससे आ जाती है बाढ़?

सितंबर 2017 में बिहार के कई जिलों में भीषण बाढ़ आई हुई थी. उस दौरान बिहार के जल संसाधन मंत्री ललन सिंह मीडिया के सामने प्रकट हुए और कहा कि चूहों के कारण बांध कमजोर हो गए, टूट गए और बाढ़ आ गई. उसी दौरान बिहार में आपदा प्रबंधन मंत्री दिनेश चंद्र यादव ने कहा था कि ‘अब चूहों और मच्छरों का क्या उपाय है? क्या कर लीजिएगा? यह तो चलता ही रहेगा.’
बारिश नहीं बदली, बाढ़ नहीं बदली, बांध नहीं बदले. बस जगह बदली और बांध को काटने वाले विलेन बदल गए. उनका नाम लगाने वाले नेता भी बदल गए. महाराष्ट्र में चिपलुन तालुका स्थित बांध तटीय कोंकण क्षेत्र में मूसलाधार बारिश के कारण मंगलवार रात को टूट गया था. इस हादसे की वजह से 18 लोगों की मौत हो गई.
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महाराष्ट्र के जल संरक्षण मंत्री तानाजी सावंत के मुताबिक तवरे डैम में पहले कोई लीकेज नहीं था लेकिन हाल में बांध के पास बड़ी संख्या में केकड़े इकट्ठा हो गए. जिसके बाद लीकेज हुआ. तानाजी सावंत ने कहा कि इस डैम में बड़ी संख्या में केकड़े पाए जाते हैं, जिन्होंने डैम की दीवार में छेद कर दिया, इससे पानी का लीकेज हुआ और इसी के कारण बांध की दीवार टूट गई.
ललन सिंह के बयान के बाद भी उनकी ट्रोलिंग शुरू हुई थी. विपक्ष से लेकर सोशल मीडिया तक उन पर सवाल उठाए गए थे. अब तानाजी सावंत के बयान पर भी लोग मजे ले रहे हैं. सवाल ये है कि बिहार के जिन जिलों में बाढ़ आई थी वहां पर चूहे बहुत खाए जाते है. कितने चूहे बचे होंगे जिन्होंने ये दुस्साहस किया? महाराष्ट्र में सी-फूड खाने वाले केकड़ों की जान के दुश्मन बने हुए हैं. कितने केकड़ों ने मिलकर बांध की दीवार में छेद किया होगा?
बिहार में ही कुछ समय चूहे शराब पी गए, ऐसी खबर आई थी. उन चूहों का फोकस शराब पीने से बांध खाने पर कब शिफ्ट हुआ ये कोई नहीं जानता. केकड़े तो ऐसी वैसी चीजें खाते भी नहीं. उन्हें न लकड़ी में इंटरेस्ट होता है न ही सीमेंट में. वो क्यों बांध खाने लगे? लेकिन इन पर इल्जाम मंत्रियों ने लगाया है तो उन पर उंगली उठाने का सवाल ही नहीं है. अगर वो ये भी कह देते कि रात के अंधेरे का फायदा उठाकर पानी बांध पार करके वॉक पर निकल गया था तो भी सबको मानना पड़ता.

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