यूपी सरकार ने OBC को हक दिलाने के लिए अनुसूचित जाति से नाइंसाफी की है

यूपी की 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने बीजेपी ने बड़ा दांव तो चल दिया है. सरकार के फैसले के बाद कुछ दिनों में इन 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट भी मिलना शुरू हो जाएगा. लेकिन इस एक फैसले की वजह से कई समीकरण बदलने वाले हैं. सबसे बड़ी बात है कि अनुसूचित जाति और जनजाति को उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण मिल रहा था. पूरे देश में अनुसूचित जाति की आबादी 15 से 16 फीसदी है. एससी के साथ हुए सामाजिक भेदभाव को दूर करने के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में ही सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 15 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान रखा गया. लेकिन यूपी में 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की वजह से एससी की जनसंख्या काफी बढ़ जाएगी. जबकि उन्हें आरक्षण 15 फीसदी ही मिलेगा.

2011 की जनगणना के मुताबिक पूरे देश में अनुसूचित जाति की आबादी 16.6 फीसदी है. इसमें यूपी में इनकी आबादी सबसे ज्यादा है. यूपी की कुल आबादी में अनुसूचित जाति की हिस्सेदारी 20.5 फीसदी है. पहले से ही ज्यादा जनसंख्या वाले इस वर्ग में 17 ओबीसी जातियों के शामिल होने के बाद इनकी जनसंख्या और बढ़ जाएगी. अनुमान के मुताबिक जिन 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किया जा रहा है, वो यूपी की कुल आबादी में 15 फीसदी की हिस्सेदारी रखते हैं. यानी इस आधार पर आकलन करें तो इन ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में सम्मिलित कर लेने के बाद यूपी में एससी की कुल आबादी 35.5 फीसदी ( 20.5+15= 35.5 ) हो जाएगी. लेकिन उनके लिए आरक्षण की सीमा 15 फीसदी ही रहेगी.

समाजशास्त्री और दिल्ली यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर सुबोध कुमार का कहना है कि 'ये अनुसूचित जाति के लिए दोहरी चोट है. उनका आरक्षण बढ़ाया नहीं जा रहा है लेकिन ओबीसी के शामिल होने की वजह से उनकी आबादी बढ़ जा रही है. ओबीसी को हक दिलाने के लिए अनुसूचित जाति के साथ नाइंसाफी क्यों?' केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री थावरचंद्र गहलोत भी इस बारे में राज्यसभा में जवाब देते हुए बोल चुके हैं कि ये ठीक नहीं है.
 

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