स्वीकृत प्रधानमंत्री आवासों में 13048 का तीन साल में भी निर्माण नहीं हुआ शुरू

प्रधानमंत्री आवास योजना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में राज्य सरकार के सामने 3 लाख 22 हजार आवासों के निर्माण का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने 10 जुलाई तक हर हाल में सभी आवासों को स्वीकृति प्रदान करते हुए प्रथम किश्त के भुगतान का निर्देश दिया है। इसी तरह उन्होंने 30 सितंबर तक पूर्व के वित्तीय वर्षों के अधूरे आवासों को पूरा करने का भी सख्त निर्देश दिया है। यह ग्रामीण विकास विभाग के समक्ष चुनौतीपूर्ण कार्य है। अच्छा काम करनेवाले प्रखंड विकास पदाधिकारी के लिए तो चिंता की बात नहीं है, पर लापरवाह टार्गेट पर होंगे। आकड़े बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2018-19 तक लक्ष्य के विरुद्ध 13048 स्वीकृत एसे आवास हैं, जिनका अभी तक निर्माण भी शुरू नहीं हो सका है। 

वित्तीय वर्ष 2016-17 के 230855 आवासों के निर्माण के बाद उनमें एलपीजी व सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन देना था। लेकिन आकड़े बयां करते हैं कि अब तक मात्र 100491 आवासों में ही एलपीजी और 23849 आवासों में बिजली की सुविधा मुहैया कराई जा सकी है। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2017-18 में 159052 आवासों में एलपीजी व सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन देना था। अब तक उनमें 53303 आवासों में ही एलपीजी कनेक्शन व 18426 आवासों में बिजली कनेक्शन पहुंच पाया है। 2018-19 में लक्षित 138884 आवासों में एलपीजी व सौभाग्य योजना के तहत कनेक्शन देना है। अब तक 36128 आवासों में ही एलपीजी और 9767 में बिजली कनेक्शन की सुविधा पहुंच सकी है। 

वित्तीय वर्ष 2016-17 में 230855 आवास निर्माण का लक्ष्य था। इनमें 5040 आवास का निर्माण भी शुरू नहीं हो सका। 13658 आवास प्लींथ लेवल तक पहुंच कर लटक गये। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2017-18 में 159051 आवास निर्माण का लक्ष्य था। 5494 आवासों का निर्माण ही शुरू नहीं हो सका तो 18132 आवास प्लींथ लेवल तक आकर फिर अटक गया। 2018-19 में फिर 138884 आवास निर्माण का लक्ष्य था। यहां भी 12514 आवासों का निर्माण ही शुरू नहीं हुआ तो 19265 आवासों का निर्माण प्लींथ लेवल से फिर ऊपर नहीं उठा। 

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