आम बजट से आसः संकट में हरियाणा के छोटे उद्योग, केंद्र से बड़ी राहत की दरकार

हरियाणा में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग संकट के दौर से गुजर रहे हैं। ये उद्योग जहां जीएसटी की पेचिदगियों से लेकर बैंक लोन लेने तक कई तरह की उलझनों में फंसे हुए हैं, वहीं वे इकाइयां जो विदेशों में माल एक्सपोर्ट करती हैं, वे भी सरकार के कम एक्सपोर्ट इंसेंटिव के चलते मायूस हैं और इस इंसेंटिव को बढ़ाने की लंबे समय से मांग कर रही है। 
अब प्रदेश की इस इंडस्ट्री को फिर ‘एडीए-टू के आम बजट-वन’ से बड़ी उम्मीदें हैं। इसी के चलते प्रदेश की विभिन्न औद्योगिक संगठनों समेत हरियाणा चैंबर ऑफ कामर्स एंड इडस्ट्री ने भी केंद्र सरकार को सुझावों के साथ मांग पत्र भेजे हैं और मांग की है कि उनके सुझावों को ध्यान में रखते हुए ही आम बजट तैयार कर प्रदेश की इंडस्ट्री को बड़ी राहत दी जाए। 

हरियाणा में देखा जाए तो आज करीब 1.20 लाख सूक्ष्म और लघु उद्योग व 2415 मध्यम व बड़े उद्योग है। यह उद्योग हर साल हरियाणा से 89006.17 करोड़ से अधिक का एक्सपोर्ट करते हैं।
स्पेशल पैकेज से ही रुकेगा हरियाणा की इंडस्ट्री का पलायन
मेकेनिकल एंड आगर्स फार्मास्युटिकल्स लिमिटड के चेयरमैन जीडी छिब्बर बताते हैं कि आज आर्थिक पैकेज न मिलने से ही हरियाणा की करीब 300 से ज्यादा इकाइयां हिमाचल में शिफ्ट हो गई हैं। 
प्रदेश में अब करीब 65 दवा उद्योग ही बचे होंगे। उनके अनुसार सरकार को हरियाणा की औद्योगिक इकाइयों के लिए स्पेशल पैकेज देना होगा, ताकि हरियाणा की इंडस्ट्री का पलायन रूक सके। जीडी छिब्बर ने बताया कि जीएसटी के बावजूद आज एक्सपोर्ट रिफंड प्रोसिजर काफी जटिल है। जबकि उद्यमियों को ये रिफंड एक माह के भीतर मिल जाना चाहिए।

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