वो मुख्यमंत्री जो चाहता था, उसे प्रदेश मंत्रिमंडल में जगह मिल जाए !

मोतीलाल वोरा की हल्की फुलकी जन्म कुंडली 
-- राजस्थान में जन्म, मध्य प्रदेश में पला बढ़ा 
-- पत्रकार बना और फिर राजनीति में एक्टिव हो गया.
--  प्रजा समाजवादी पार्टी का झंडा उठाया. 
-- 1968 में दुर्ग से पार्षदी का चुनाव लड़ गए और जीते भी. 
-- इसके बाद विधायक, मुख्यंत्री और प्रदेश अध्यक्ष भी बने.
-- कांग्रेस में भयंकर दखल रखते हैं और वरिष्ठ नेताओं में एक हैं.
-- अब 'अंतरिम अध्यक्ष' के लिए चर्चे में हैं.

किस्से की शुरुआत यहाँ से होती है.
9 मार्च 1985 को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आते हैं. कांग्रेस बहुमत पर सवार होती है. प्रदेश के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह दोबारा ताजपोशी की तैयारी में जुट जाते हैं. एक चिटठा तैयार होता है. उसमें कुछ ख़ास के और कुछ जरुरी नामों का जिक्र होता है. ये कोई आम चिट्ठा नहीं बल्कि अर्जुन सिंह के मंत्रिमंडल की सूची थी. 
10 मार्च 1985 को अर्जुन सिंह दिल्ली के लिए रवाना होते हैं. अपने मंत्रिमंडल की सूची कांग्रेस हाईकमान से मंजूर करवाने के लिए. लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी तो कुछ और चाहते थे, आखिर में आदेश दिया 
-- अपनी पसंद के मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष का नाम बता दो. 
-- फिर 14 मार्च को पंजाब पहुंच जाओ, पंजाब गवर्नर पद दम्भालने के लिए .

अर्जुन से बहार निकल और अपने जहाज को भोपाल के लिए रवाना कर दिया. बेटे को निर्देश दिया की तुरंत वोरा को दिल्ली लेकर आओ. इधर दिल्ली में कमलनाथ, अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह, वोरा का इंतजार कर रहे थे.
-- वही वोरा जो तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष थे, 
-- वही वोरा जो मंत्री की चाह रखते थे 
-- वही वोरा जो अर्जुन के ख़ास थे 

मजेदार : मुख्यमंत्री बनाने के लिए बुलाया और वो 'मंत्री" बनाने की सिफारिश कर रहा था !!
अर्जुन सिंह के बेटे वोरा को लेकर दिल्ली के लिए रवाना होते हैं. रास्ते में वोरा, अजय सिंह से खुद को कैबिनेट मंत्री का पद दिलाने की सिफारिश करने लगते हैं. अजय सिंह भौचक्के रह जाते हैं और मुँह ताकने लगते हैं. लेकिन फिर भी वो वोरा से कुछ नहीं कहते हैं. 
दिल्ली पहुँचने के बाद एयरपोर्ट से वोरा सीधे मध्यप्रदेश भवन पहुँचते हैं. वहां खाने पर अर्जुन सिंह, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह उनका इंतजार कर रहे थे. खाने के बाद चारों फिर रवाना हुए पालम हवाई अड्डे. वहां राजीव गांधी रूस की यात्रा पर जाने को तैयार बैठे थे. राजीव ने वोरा को पास बुलाया. और बोले 
‘आप अब मुख्यमंत्री हैं’
मोतीलाल वोरा, सकपका जाते हैं. उसका कारण भी था. क्योंकि जहाँ मोतीलाल वोरा का 'मंत्री' पद भी पक्का नहीं उन्हें "मुख्यंत्री" का सौगात मिल गया था. हालाँकि इसके बाद मंत्रिमंडल बनाने की बारी आई और यहां भी अर्जुन सिंह की चली. वोरा कुछ नहीं कर पाए. 

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