मोदी सरकार ने बताया- कहां अटकी है निजी क्षेत्र में आरक्षण की गाड़ी?

निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर मनमोहन सरकार ने कोशिश शुरू की थी लेकिन उस वक्त सरकार से उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने कह दिया था कि आरक्षण ही समस्या का समाधान नहीं है. और दूसरे विकल्पों पर जोर दिया जाए. संसद में निजी क्षेत्र के आरक्षण को लेकर उठे सवाल पर सरकार की तरफ से आए जवाब में यह जानकारी सामने आई है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के मिश्रिख सीट से बीजेपी सांसद अशोक कुमार रावत ने मंगलवार को लोकसभा में सरकार से पूछा था कि क्या सरकार निजी कंपनियों की नौकरियों में आरक्षण के लिए कोई कदम उठाया है, जहां सरकार की आंशिक भागीदारी है. यह भी पूछा था कि निजी कंपनियों की नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान कब तक लागू होने की संभावना है. इसमें देरी की क्या वजह है.
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लिखित जवाब में सामाजिक न्याय और आधिकारिता राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने बताया कि 2006 में (तब मनमोहन सिंह सरकार) प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से निजी क्षेत्र में इसको लेकर समन्वय समिति गठित की गई थी. डीपीआईआईटी यानी उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग की ओर से इस समिति को सचिवालय स्तर की मदद दी जाती है. निजी क्षेत्रों में आरक्षण की संभावनाओं पर विचार के लिए गठित इस समन्वय समिति की अब तक नौ बैठकें हो चुकीं हैं.
निजी क्षेत्र ने कहा- आरक्षण समाधान नहीं
मंत्री ने बताया कि समन्वय समिति की पहली बैठक में यह बताया गया था कि सबसे बेहतर तरीका यही है कि खुद उद्योग जगत निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर पहल करे. मगर, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने कहा था कि आरक्षण समस्या का समाधान नहीं है. बल्कि सभी स्तरों पर कमजोर वर्गों खासतौर से एससी और एसटी वर्ग के युवाओं के कौशल विकास, प्रशिक्षण और मौजूदा भर्ती नीति में अन्य तरह की सहायता देने का सुझाव दिया गया. उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने सरकारी और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर कमजोर तबकों के अभ्यर्थियों के कौशल विकास पर जोर दिया.
सरकार ने बताया कि उद्योग जगत के इस रुख के बाद शीर्ष उद्योग संस्था भारतीय उद्योग परिसंघ,  फिक्की, भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल महासंघ, एसोचैम आदि ने सदस्य कंपनियों के लिए शिक्षा, उद्यमिता और रोजगार आदि को लेकर स्वैच्छिक आचार संहिता तैयार की है. उद्योग संघों ने छात्रवृत्तियां, उद्यमिता विकास कार्यक्रम और कोचिंग आदि के उपाय किए हैं.
सरकार ने बताया कि समन्वय समिति की आठवीं बैठक में दलित भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल(डीआईसीसीआई) को भी शामिल किया गया था. हालांकि सरकार ने यह नही बताया कि आरक्षण के प्रावधान कब से लागू होंगे और इसमें हो रही देरी के क्या कारण हैं. लोकसभा में दिए सरकार के जवाब से माना जा रहा है कि उद्योग जगत की ओर से आरक्षण को लेकर सवाल खड़े करने और इसकी जगह अन्य तरह की सहायता देने के प्रस्ताव के चलते निजी क्षेत्रों में आरक्षण की बात आगे नहीं बढ़ सकी है.

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