देशद्रोह कानून को खत्म करने का सरकार का कोई प्रस्ताव नहीं: गृह राज्यमंत्री

केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि देशद्रोह के कानून को खत्म का उनका कोई इरादा नहीं है। सरकार का कहना है कि आईपीसी के तहत बने इस कानून को खत्म करने को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं है। गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय का ने राज्यसभा में कानून को लेकर सरकार की क्या राय है, ये बताया है। उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार देशद्रोह कानून को खत्म करने का विचार कर रही है। जिसके जवाब में उन्होंने कहा, "देशद्रोह के अपराध से निपटने वाले आईपीसी के इस प्रावधान को रद्द करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।" उनका कहना है कि राष्ट्र विरोधी और आतंकी तत्वों का मुकाबला करने के लिए इस कानून को बनाए रखना जरूरी है। 
क्या है आईपीसी की धारा 124-ए?
भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 124-ए को ही राजद्रोह का कानून कहा जाता है। अगर कोई व्यक्ति देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधि को सार्वजनिक रूप से अंजाम देता है तो यह 124-ए के अधीन आता है। साथ ही अगर कोई व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है, ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ ही संविधान का अपमान करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124-ए के तहत देशद्रोह का मामला दर्ज हो सकता है। इन गतिविधियों में लेख लिखना, पोस्टर बनाना, कार्टून बनाना जैसे कार्य भी शामिल होते हैं।

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