लोकसभा से मंगलवार को इंडियन मेडिकल काउंसिल संशोधन विधेयक 2019 पारित कर दिया गया. इस बिल का मकसद देश में मेडिकल शिक्षा में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्ता लाना है. अब राज्यसभा से मंजूरी मिलने के बाद विधेयक दो साल की अवधि के लिए मेडिकल काउंसिल के आधिपत्य की इजाजत देगा, जिस दौरान एक बोर्ड ऑफ गवर्नर (BoG) मेडिकल एजुकेशन के लिए भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी नियामक संस्था को चलाएगा.
More bad news for Yogi Adityanath as data show UP tops crime chartयह विधेयक इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956 में और संशोधन करने का प्रस्ताव रखता है. 16वीं लोकसभा में यह पारित नहीं हो पाया था. बिल को पेश करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि यह बिल लोकसभा से पारित हो चुका था लेकिन पिछले बार राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था. उन्होंने कहा कि संसद न चलने की वजह से यह अध्यादेश लाया गया है.
बोर्ड ने किया बेहतर कामहर्षवर्धन ने लोकसभा में कहा कि बोर्ड ऑफ गवर्नर की ओर से पिछले 8 माह के भीतर 15 हजार ज्यादा MBBS की सीटें निकाली गईं साथ ही पहले से ज्यादा मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दी गई. उन्होंने कहा कि बोर्ड ने टीचरों की कमी को भी कम किया है, मिशन मोड में EWS कोटे को लागू करने का काम किया है. बोर्ड सिस्टम में पारदर्शिता लाने में सफल रहा, काउंसिल के खिलाफ होने वाले मुकदमों में भी कमी आई है.
स्वास्थ्य ने सदन को बताया कि अभी आगे मेडिकल कमीशन बिल आएगा जिसमें ज्यादा विस्तार से नियमों को लागू किया जाएगा. मंत्री ने कहा कि देश को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का मिशन साफ है. आयुष्मान भारत के अंतर्गत बड़ी तादाद में लोगों को इलाज मिल रहा है. देश पीएम मोदी की अगुवाई में यूनिवर्सल हेल्थ की दिशा में आगे बढ़ रहा है.