कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी की हां, ना में उलझे MP के अनेक राजनीतिक मसले

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की एक हां के चक्कर में मध्यप्रदेश के अनेक राजनीतिक मसले उलझे पड़े हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ चाहते थे कि लोकसभा चुनाव निपटते ही उनके मंत्रिमंडल का विस्तार हो, संगठन में उनकी पसंद के किसी नेता की ताजपोशी हो। निगम मंडल समेत विकास प्राधिकरणों में राजनीतिक नियुक्तियां समय रहते हो जाएं,लेकिन इनमें से एक भी काम नहीं हो पाया।
इसकी वजह मुख्यमंत्री की कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात न हो पाना है। लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद सोमवार को उनकी पहली बार गांधी से मुलाकात हुई पर एजेंडा मध्यप्रदेश की नियुक्तियां नहीं, बल्कि अध्यक्ष की कुर्सी पर राहुल गांधी के बने रहने के लिए मान-मनोव्वल करना था।
सोमवार को कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के संग राहुल गांधी से मिलने गए कमलनाथ की मध्यप्रदेश से जुड़े मसलों पर शायद ही कोई चर्चा हुई हो। लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद से नाथ की यह तीसरी दिल्ली यात्रा है। पिछली दो यात्राओं में भी यह कयास लगाए जा रहे थे कि उनकी कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात होगी, लेकिन एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संग और दूसरी बार गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर लौट आए।
तीसरी यात्रा में वे राहुल से मिले, लेकिन अलग एजेंडे के साथ। राहुल गांधी की हां-ना के चक्कर में सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों के सब्र का बांध टूट रहा है। बुरहानपुर से निर्वाचित निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा भैया पिछले छह माह से कमलनाथ सरकार का समर्थन और विरोध कर समय काट रहे हैं। जब भी वे सरकार के खिलाफ मुंह खोलते हैं, सरकार का कोई दूत उन तक पहुंचकर मंत्रिमंडल में उन्हें शीघ्र शामिल करने का आश्वासन दे आता है। अगले ही दिन शेरा भैया का बयान बदल जाता है।

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