आरक्षण मुद्दा: योगी सरकार के फैसले के खिलाफ BJP में उठे विरोध के सुर

यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा पिछड़े वर्ग (ओबीसी) की 17 जातियों को अनुसूचित जातियों में  शामिल करने के मामले में सोमवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता डॉ विजय सोनकर शास्त्री ने विरोध जताया. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉ विजय सोनकर शास्त्री ने कहा है कि योगी सरकार ने जो फैसला लिया है, वो संविधान की मूल भावना के अनुरूप नहीं है. डॉक्टर सोनकर शास्त्री ने कहा कि बीजेपी के कई दलित नेता उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले से खुश नहीं हैं. शास्त्री ने कहा कि कौन सी जाति को SC/ST श्रेणी में डालना और किसे बाहर करना है? इसका फैसला कमीशन के सुझाव से होता है.

उन्होंने कहा कि संविधान में किस जाति को किस 'कैटेगरी' में रखना है, इसे अच्छे तरीके से परिभाषित किया गया है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता आगे कहते हैं कि योगी सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. इस मामले में डॉ विजय सोनकर शास्त्री ने कहा कि जल्द वे इस मसले पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखने वाले है.

इससे पहले आज बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसे लेकर योगी सरकार पर हमला बोला. मायावती ने कहा कि पिछड़े वर्ग (ओबीसी) की 17 जातियों को आरक्षण देने का प्रावधान सिर्फ संसद को है. योगी सरकार ने कानून का उल्लंघन किया हैं. बसपा प्रमुख ने कहा कि यूपी की योगी सरकार ने पिछड़े वर्ग के लोगों को अनुसूचित जातियों में शामिल कर धोखा दिया है. वहीं 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने पर बसपा मुखिया मायावती ने फैसले को गैर कानूनी और गैर संवैधानिक बताया है.

इन जातियों को मिलेगा फायदा?

बता दें कि बीते दो दशक से 17 अति पिछड़ी जातियों- कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोडिया, मांझी और मछुआ को अनुसूचित जाति में शामिल करने की कोशिशें जारी हैं. सपा और बसपा सरकार में इसे चुनावी फायदे के लिए अनुसूचित जाति में शामिल तो किया गया पर उनका यह फैसला परवान नहीं चढ़ पाया.
 

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