दिल्ली कांग्रेस में घमासान फिर तेज, पीसी चाको ने पलटा शीला का ब्लॉक कमेटियां भंग करने का निर्णय

प्रदेश कांग्रेस में घमासान फिर तेज हो गया है। प्रभारी पीसी चाको और प्रदेशाध्यक्ष शीला दीक्षित एक बार फिर आमने-सामने हैं। शुक्रवार को शीला दीक्षित ने ब्लॉक कमेटियों को भंग कर दिया था तो शनिवार को चाको ने इस फैसले को बदल दिया। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, चाको ने चुने हुए 280 ब्लॉक अध्यक्षों को बिना अनुमति हटाने के फैसले पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि इस निर्णय से पहले ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी से अनुमति नहीं ली गई थी। अब संशय है कि ब्लॉक अध्यक्ष अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे या नहीं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से प्रदेश नेतृत्व की मुलाकात के बाद 280 ब्लॉक कमेटियों को भंग करने के एलान के बाद पार्टी में तापमान बढ़ गया है। सभी अपने-अपने आलाकमान से संपर्क साध रहे हैं और इसके कारण गुटबाजी भी बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि चाको और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अजय माकन ने ही मिलकर ब्लॉक कमेटी का गठन किया था। लोकसभा चुनाव के दौरान भी शीला दीक्षित और चाको आमने-सामने थे। चाको जहां आप के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने के पक्ष में थे तो शीला ने इसका विरोध किया था। कई दिन तक दोनों ने पूरा दमखम दिखाया। शीला दीक्षित जीत गईं और सातों सीट पर अकेले चुनाव लड़कर पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया। एक बार फिर दोनों नेता उलझ गए हैं। लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहली बार दिल्ली के सभी नेताओं से मिले हैं। हार पर मंथन के बाद उनकी ओर से शीला दीक्षित को फ्री हैंड का इशारा भी मिला बताया गया है। इसीलिए प्रदेशाध्यक्ष ने सभी 280 ब्लॉक कमेटियों को भंग किया था। इसके बाद के हालात पर शनिवार को शीला दीक्षित के निवास पर करीबियों के साथ बैठकों का दौर चला। सोमवार को उन्होंने प्रदेश कार्यालय में सभी नेताओं को चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। उधर, पार्टी के कुछ नेता मान रहे हैं कि चाको और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष का मत आप के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का था। कमेटियां भी इसी मत की थीं। शीला खेमे की मानें तो लोकसभा चुनाव में जिस तरह पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया, उसे देखकर लगता है कि ब्लॉक स्तर पर कार्यकर्ता थोड़ी अधिक मेहनत करते तो पार्टी और अच्छा प्रदर्शन करती। इसे देखते हुए ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की वकालत की जा रही है।

More videos

See All