राजस्थान में शुरू हुई निकाय व पंचायत चुनावों की दौड़, कमर कसने लगी पार्टियां

इस वर्ष के अंत तक होने वाले निकाय व पंचायत चुनावों को लेकर राजनीतिक दल सक्रिय होने लग गए हैं. दोनों चुनावों को लेकर स्थानीय स्तर पर सुगबुगाहट होने लग गई है. कांग्रेस ने जहां इन चुनावों में सियासी समीकरण साधने के लिए राजनीतिक नियुक्तियों की शुरुआत कर दी है. वहीं बीजेपी खेमा भी कमर कस चुका है. आम आदमी पार्टी ने भी दोनों चुनावों के मद्देनजर अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करना शुरू कर दिया है

इस साल के अंत में नंवबर में निकाय चुनाव होने हैं. निकाय चुनाव के एक महीने बाद ही पंचायत चुनाव होंगे. ये दोनों ही चुनाव बेहद अहम है. इन चुनावों में बड़े नेता शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में समर्थकों को पार्षद, सरपंच, उप सरपंच और वार्ड पंच बनवाकर उन्हें अपने खेमे से जोड़े रखते हैं. स्थानीय कार्यकर्ता भी इन पदों के लिए पांच साल तक बड़े नेताओं के तीमारदारी करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. चूंकि स्थानीय कार्यकर्ता ही लोकसभा व विधानसभा चुनाव में माहौल बनाने का काम करते हैं, इसलिए इन चुनावों में बड़े नेता भी अपने समर्थकों के लिए जान झोंक देते हैं.

पंचायत व निकाय चुनावों के मद्देनजर ही कांग्रेस ने तमाम उठा-पटक के बावजूद राजनीतिक नियुक्तियों का दौर शुरू कर दिया है, ताकि इनके जरिए हताश बैठे कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं में जोश का संचार कर सियासी समीकरण साधे जा सके. जितने स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को राजनीतिक निुयक्तियां मिल जाएगी उतने ही पंचायत व निकाय चुनाव में दावेदार कम हो जाएंगे. राज्य सरकार विभिन्न बोर्डों और समितियों के छोटे-बड़े पदों पर करीब 10 हजार राजनीतिक नियुक्तियां करेगी.

बीजेपी ने भी पिछले दिनों हुई पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में कार्यकर्ताओं को निकाय व पंचायत चुनाव के लिए कमर कसकर तैयार रहने को कह दिया था. पार्टी नेताओं ने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया था कि वे ज्यादा से ज्यादा पब्लिक के बीच रहे और लोकसभा चुनाव में हुई भारी जीत के अंतर को बरकरार रखें.

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