कश्मीर के बिगड़े हालात के लिए बीजेपी-पीडीपी गठबंधन जिम्मेदार- मनीष तिवारी

लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने जम्मू कश्मीर आरक्षण बिल और राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का विरोध करते हुए कहा कि आज जो कश्मीर में हालात है उसके लिए इतिहास में पीछे जाने की जरूरत है. तिवारी ने कहा कि 1990 में वीपी सिंह की सरकार था, जिसे बीजेपी और लेफ्ट का समर्थन हासिल था, तब से जम्मू कश्मीर के हालात बिगड़ने शुरू हुए. कांग्रेस की ओर से सरकार को चेताने के बावजूद भी राज्य के हालात नहीं सुधरे और वहां राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा. कश्मीर में हालात बिगड़े उसके लिए कश्मीर के लोग नहीं बल्कि पाकिस्तान जिम्मेदार था. पड़ोसी मुल्क ने पहले पंजाब और फिर कश्मीर में दखल दी, जिससे दोनों राज्यों के हालात बिगड़े. 1996 में कांग्रेस ने स्थिति को संभाला और वहां विधानसभा चुनाव हुए और नेशनल कांफ्रेंस की सरकार बनी जो 6 साल तक चली. फिर 2002 के चुनाव में पीडीपी-कांग्रेस की सरकार बनी. 2003 में जब पूर्व प्रधानमंत्री श्रीनगर गए तो उन्होंने इंसानियत और कश्मीरियत की बात की और बढ़ा दिल दिखाया.  
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लोकसभा में मनीष तिवारी ने कहा कि 2005 से 2008 तक कश्मीर का गोल्डन टाइम था क्योंकि कांग्रेस की सरकार ने वाजपेयी की नीतियों को आगे बढ़ाया. फिर से कश्मीर में फिर चुनाव हुए और कांग्रेस-एनसी की सरकार बनी जिसने 2014 तक राज्य में पारदर्शी शासन दिया. 2014 में एनडीए की सरकार बनने के बाद राज्य में चुनाव हुए और हमने एक प्रगतिशील प्रदेश बीजेपी सरकार को सौंपा था. तिवारी ने कहा कि राज्य में बीजेपी ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाए और यह गलत गठबंधन था. आज कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के हालात बीजेपी और पीडीपी के गठबंधन से बने हैं. तिवारी ने कहा कि आतंकवाद से आप सख्ती से निपटें मैं तो खुद इसका भुक्तभोगी हूं. आतंकवाद के खिलाफ आपकी किसी कठोर नीति का हम विरोध नहीं करते, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ जंग तभी जीती जा सकती है जब लोग आपका साथ देंगे.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि अगर जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्ण तरीके से लोकसभा के चुनाव करा सकते हैं तो विधानसभा चुनाव क्यों साथ में नहीं कराए गए. तिवारी ने कहा कि हमारे पश्चिमी पड़ोसी से जो चुनौती है वह खत्म होने वाली नहीं है. आपको आवाम को साथ रखना पड़ेगा तभी आप चुनौती का सामना कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार लोगों का विश्वास जीतने में नाकाम रही है और इसी वजह से वहां हालात बिगड़े हैं. तिवारी ने कहा कि हम राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध करते हैं. कांग्रेस सांसद ने कहा कि आरक्षण के प्रस्ताव का विषय विधानसभा के अधिकार में आता है और इस विधेयक को लाने का हक विधानसभा का होना चाहिए. सीमा पर रहने वाले लोगों का दर्द हम समझते हैं और आरक्षण पर हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उसके तरीके पर आपत्ति जरूर है.
 

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