बेखौफ और बेबाक तेवर हैं हरसिमरत कौर बादल की पहचान

वर्ष 1982 मई का महीना। दो भाइयों के साथ बहन घर में खेल रही है। अचानक तीनों एक टेबल लैंप के साथ टकरा जाते हैं। लैंप नीचे गिरते ही शीशा टूट कर बिखर जाता है। कांच इकट्ठा करते हुए छोटे भाई की हथेली में कांच का टुकड़ा लग गया। बहन ने छोटे भाई की हथेली से कांच का टुकड़ा निकाला और कपड़े बांध दिया। तभी दोनों भाई कहने लगे कि वे माता-पिता को बताएंगे कि लैंप बहन ने तोड़ा है। इतना कहने पर ही बहन को गुस्सा आ गया और उसने दोनों भाइयों की लात-घूंसों से पिटाई कर दी। बाद में गलती का एहसास होने पर दोनों को गले लगाकर दुलार भी दिया। वह बहन हैं हरसिमरत कौर बादल। उनका व्यक्तित्व व मिजाज आज भी वैसा ही है जैसा 27 साल पहले था। कोमल स्वभाव, खुशमिजाज लेकिन बेबाकी और बुलंद आवाज में अपनी बात रखने का माद्दा।
आज उन दो भाइयों में से एक बिक्रम सिंह मजीठिया पंजाब में अकाली दल के नेता व पूर्व मंत्री हैं। अपने बचपन को याद करते हुए वह बताते हैं कि हालांकि हरसिमरत मेरे से छोटी है लेकिन हम दोनों भाई उनसे डरा करते थे। कोई कठिन काम करना होता तो हम तो अभी सोच ही रहे होते, हरसिमरत उसको करके दलेरी का सबूत पेश कर दिया करती थी। इसलिए हम सब उनके आगे बोलने की हिम्मत नहीं करते थे। हालांकि अब हम सभी बड़े हो गए हैं लेकिन आज भी उनके आगे बोलने की हिम्मत हम में नहीं है।
 

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