कैकेयी की तरह कोप भवन में बैठना समाधान नहीं, राहुल क्यों छोड़ना चाहते हैं अध्यक्ष का पद?

आप चाहे तो कांग्रेस के हर नेता से यह सवाल पूछ लीजिए, करीब नब्बे फीसदी इसका जवाब देंगे कि सही उत्तर जानना हो तो केसी वेणुगोपाल से पूछ लीजिए। आशय यह कि राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ने का सही कारण केवल चार लोगों को सही ढंग से पता है। इसमें पहला नाम खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का है। तीन और नाम क्रमश: यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल हैं। यह 2019 की नई कांग्रेस है।
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क्यों छोड़ना चाहते हैं अध्यक्ष का पद?
कांग्रेस पार्टी के लगभग सभी सचिवों की जुबान पर राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने को लेकर केवल एक कारण है? आधा दर्जन सचिवों का कहना है कि राहुल गांधी लोकसभा चुनाव 2019 में हुई करारी हार का खुद को जिम्मेदार मानते हैं। उन्हें चुनाव से बहुत उम्मीद थी। उन्होंने कड़ी मेहनत की थी और कांग्रेस अध्यक्ष इसकी नैतिक जिम्मेदारी अपने ऊपर लेकर इस पद से मुक्त होना चाहते हैं। ताकि वह पद के बोझ से मुक्त होकर पार्टी को मजबूत बनाने में काम कर सकें। इसीलिए वह पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर जोर दे रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष यह भी चाहते हैं कि भविष्य में सभी नेताओं को जिम्मेदारी और जवाबदेही के दायरे में लाया जाये। कांग्रेस के नेताओं, सांसदों की यह आदर्श लाइन है, जो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के समर्थन में खड़ी है। लेकिन कोई यह नहीं बता पा रहे हैं राहुल गांधी के इस निर्णय और निर्णय पर अड़ने का कांग्रेस पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं और जनता के बीच में क्या संदेश जा रहा है?
क्या राहुल गांधी क्षुब्ध हैं?
हां। वह क्षुब्ध हैं। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में करारी हार से हताश और निराश हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें दोनों सदनों अपने अंदाज में खूब चिढ़ाया। उच्चपदस्थ सूत्र के अनुसार वास्तव में कांग्रेस अध्यक्ष हार और हार के बाद की इस स्थिति को हजम नहीं कर पा रहे हैं। वह लगातार अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर अड़े हैं। राहुल को भाजपा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री का वंशवाद का तंज भी अखर रहा है। सूत्र बताते हैं कि यही वजह है कि वह नये कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में प्रियंका गांधी वाड्रा को भी नहीं देखना चाहते। राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की फौज से भी बुरी तरह नाराज हैं। उन्हें लग रहा है कि एक बड़े अवसर का 2019 के चुनाव में लाभ नहीं लिया जा सका। इसका कारण कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की खुद के अधिकार, लाभ, अस्तित्व तक सीमित राजनीति है। पार्टी के भीतर युवा और वरिष्ठ में तालमेल की कमी है। उन्होंने खुद भी लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, अशोक गहलोत और कमलनाथ पर अंगुली भी उठाई थी। 
क्या हार के जिम्मेदार राहुल गांधी हैं?
कांग्रेस के नेताओं के नजरिए से देखें तो जवाब मिलता है कि अकेले राहुल और प्रियंका ने लोकसभा चुनाव-2019 में कड़ी मेहनत की। राहुल गांधी ने सबसे ज्यादा कठिन मेहनत की। एक महासचिव का कहना है कि टीम का कप्तान पूरी मेहनत से सामना करे और टीम कैच छोड़ती रहे तो दु:ख स्वाभाविक है। यहां अकेले राहुल गांधी जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि पूरी कांग्रेस की टीम और पार्टी के नेता हैं। यह कांग्रेस के उन नेताओं की राय है जो कांग्रेस अध्यक्ष के साथ सहानुभूति रखते हैं। 
कैकेयी की तरह कोप भवन में बैठना समाधान नहीं
पार्टी के बीतर दूसरे नेताओं की भी राय है। एक पूर्व महासचिव कहते हैं कि इस टीम और चेहरों का चयन किसने किया? संचालन, संयोजन, प्रचार अभियान सबकी जिम्मेदारी कौन तय कर रहा था? उस चेहरे का चयन किसने किया था? आदि-आदि? कांग्रेस पार्टी अपना घोषणा पत्र जारी कर रही थी और डायस पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल, यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा मंच पर कौन सा उत्तर भारतीय नेता था? आखिर पार्टी शुरू से क्या संदेश दे रही थी। पार्टी के ही एक अन्य पूर्व महासचिव कहते हैं कि हार के बाद कैकेयी की तरह कोप भवन में बैठने से हल नहीं निकलेगा। पार्टी को खड़ा करने का रास्ता ईमानदारी से चिंतन और प्रयास के बाद आएगा। कभी सोनिया गांधी के विश्वासपात्र रहे एक अन्य नेता के मुताबिक जो हो रहा है, इसका पार्टी और देश में गलत संदेश जा रहा है। 

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