भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज और उमा भारती को सरकारी बंगला खाली करना पड़ सकता है। चूंकि अब वे संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं, ऐसे में इन नेताओं के सामने आवास की समस्या आ खड़ी हुई है।
चुनाव हार चुके या चुनाव नहीं लड़ने वाले सांसदों को एक माह के भीतर सरकारी घर खाली करना था। यह समयसीमा रविवार को खत्म हो रही है। अधिकतर निवर्तमान सांसदों ने बिजली बिल और किराया जैसे बकाये चुकाकर पहले ही घर खाली कर दिया है।
खुर्शीद बोले, मोदी की सुनामी में सबकुछ बह गयाअमित शाह को लेना है निर्णयमंत्रियों को बंगला केंद्र सरकार के पूल से मिलता है और उसका फैसला केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली आवास मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीए) करती है। उमा भारती और सुषमा स्वराज ने लोकसभा सचिवालय से पूर्व सांसद का परिचयपत्र भी ले लिया है तो अब उन पर बंगले छोड़ने का दबाव बढ़ सकता है।
यह हो सकता है रास्तायदि किसी नेता की सुरक्षा को खतरा है तो प्रियंका गांधी की तरह उन्हें किसी सदन का सदस्य न होते हुए भी सरकारी बंगला आवंटित किया जा सकता है। जहां आडवाणी को एनएसजी के सुरक्षा गार्डों वाली जेट प्लस सुरक्षा मिली है, जोशी को आईटीबीपी के जवानों की सुरक्षा मिली है। संभवत: सुरक्षा कारणों की वजह से ही बसपा प्रमुख मायावती को भी अभी बंगला खाली करने के निर्देश नहीं हुए हैं, जबकि वे राज्यसभा से सवा साल पहले ही इस्तीफा दे चुकी हैं।